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पशु पालकों की प्रोत्साहन राशि पर कुंडली मार बैठी सरकार

bikaner news - Government wasted the horoscope on the incentive amount of cattle owners

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पशु पालकों की प्रोत्साहन राशि पर कुंडली मार बैठी सरकार

पशु पालकों की प्रोत्साहन राशि पर कुंडली मार बैठी सरकार

डेढ़ करोड़ रुपए का भुगतान उरमूल डेयरी का अटका
कोरोना महामारी की मंदी के चलते डेयरी पर पड़ रही दोहरी मार
एक्सक्लूसिव स्टोरी
बीकानेर.
दुग्ध उत्पादकों (पशुपालक) को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार की 'मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजनाÓ को सरकार ने ही ठण्डे बस्ते में डाल दिया है। बीकानेर की करीब तीन सौ दुग्ध उत्पादक इकाइयों को दी जा चुकी प्रोत्साहन राशि का सरकार ने अभी तक भुगतान तक नहीं किया है।

ऐसे में अब दुग्ध उत्पादकों को आशंका है कि उन्हें भविष्य में यह राशि मिलेगी या नहीं। हालांकि दुग्ध उत्पादकों को उरमूल डेयरी प्रशासन ने पिछले चार माह का करीब डेढ़ करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया है, लेकिन डेयरी प्रशासन को राज्य सरकार की ओर से भुगतान नहीं मिलने से अब डेयरी प्रशासन भी कर्ज में डूबे जा रहा है। डेयरी की माली हालत को देखकर अब दुग्ध उत्पादक समितियों ने डेयरी से मुंह मोडऩा भी शुरू कर दिया है।


800 समितियां रजिस्टर्ड
उत्तरी राजस्थान सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (उरमूल) से अकेले बीकानेर में करीब आठ सौ समितियां रजिस्टर्ड है। लेकिन समय पर भुगतान नहीं मिलने के कारण करीब तीन सौ समितियां ही डेयरी प्रशासन को दूध दे रही हैं। शेष समितियां या तो निष्क्रिय पड़ी हैं या वे बंद हो चुकी है। उरमूल डेयरी के प्रबंध संचालक डॉ. एसएन पुरोहित ने बताया कि डेयरी से संबंधित समितियों को दो रुपए प्रति लीटर के हिसाब से भुगतान किया जा चुका है। लेकिन राज्य सरकार की ओर से करीब डेढ़ करोड़ रुपए की राशि का पुनर्भरण अभी तक नहीं हुआ है। ऐसे में डेयरी प्रशासन को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। कोरोना महामारी के चलते डेयरी की वित्तीय स्थिति पहले से ही ठीक नहीं है। इस संबंध में डेयरी के अध्यक्ष नोपाराम जाखड़ ने भी राज्य सरकार को पत्र लिखकर डेढ़ करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि का भुगतान करने के लिए लिखा है।


योजना पर एक नजर
मुख्यमंत्री दुग्ध संबंल योजना के तहत दुग्ध उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के पशुपालकों को दो रुपए प्रति लीटर दूध पर प्रोत्साहन राशि दी जाती है। ताकि दुग्ध उत्पादकों को औने-पौने दाम में अपने दूध का विक्रय नहीं करना पड़े। लेकिन स्थिति यह है कि राज्य सरकार की अनेदखी के चलते सरकार की ओर से शुरू की गई संबल योजना को अधिकारियों की अनेदखी के चलते ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया है।