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यहां बालू रेत से खेली जाती है होली

बच्चों से बुजुर्ग तक होते है शामिलदशकों से खेली जा रही है होली

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यहां बालू रेत से खेली जाती है होली

यहां बालू रेत से खेली जाती है होली

बीकानेर. होली रंग, गुलाल, इत्र और पानी से खेली जाती है। इस दिन लोग विभिन्न प्रकार के रंगों से सराबोर होकर होली की मस्ती और उमंग में डूबे रहते है। हर कोई एक-दूसरे को रंग और गुलाल से सराबोर करने को आतुर रहता है। बीकानेर में होलिका दहन की राख से भी होली खेलने की परम्परा रही है। वहीं कीकाणी व्यास चौक में धुलंडी के दिन खेली जाने वाली बालू रेत से होली अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। यह दशकों से खेली जा रही है।

मोहल्ला निवासी ब्रजेश्वर लाल व्यास के अनुसार धुलंडी के दिन सुबह 6 बजे से 9 बजे तक रेत की होली का आयोजन होता है। इसमें मोहल्ले के बच्चों से बुजुर्ग तक शामिल होते है। आपसी प्रेम सौहार्द के रूप में खेली जाने वाली इस होली में एक दूसरे को बालू रेत से सराबोर कर होली खेली जाती है। होली खेलने के दौरान जब कोई मोहल्लावासी यहां पहुंचता है मौजूद लोग उसे बालू रेत से होली खेलाते है। मोहल्लेवासी प्रेम सौहार्द के रूप में इस होली को खेलते है।

पहले ऊंट गाड़ा से अब ट्रेक्टर ट्रॉली से आती है रेत
धुलंडी के दिन कीकाणी व्यास चौक में दशको से खेली जा रही रेत होली के लिए पहले ऊंट गाड़ा के माध्यम से रेत आती थी। व्यास के अनुसार वर्तमान में ट्रेक्टर ट्रॉलियों के माध्यम से रेत मंगवाई जाती है, जिससे रेत होली खेली जाती है। कीकाणी व्यास पंचायती सम्पति ट्रस्ट की ओर से इसकी व्यवस्था की जाती है। इस बार इस होली खेलने की विशेष परम्परा का निर्वहन २९ मार्च को होगा।