
‘ईशर गयो परदेश कमावण रुपयो री थैली’
बीकानेर. ‘गवरल रूडो ए नजारो तीखो नैणो रो’, ‘उठी उठी गवर निंदाड़ो खोल’ और ‘गवर्यो री मौज्या बीकानेर में’ सरीखे गणगौरी गीतों की गूंज घर-घर से मोहल्लों तक शुरू हो गई है। धुलंडी के दिन से शुरू हुए ३४ दिवसीय गणगौर पूजन उत्सव में मां गवरजा स्वरूप गवर-ईशर की पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया है। तीन चरणों में होने वाले गणगौर पूजन उत्सव के पहले चरण में बालिकाओं ने बाला गणगौर का पूजन पारम्परिक गणगौरी गीतों के साथ शुरू कर दिया है।
होलिका दहन की राख से पिंडोलिया बनाकर उनको मिट्टी के पालसिए में रखकर अबीर, गुलाल, पुष्प, इत्र, कुमकुम आदि पूजन सामग्रियों से मां गवरजा का पूजन कर रही है। यह पूजन अनुष्ठान सोलह दिनों तक चलेगा। पूजन अनुष्ठान की पूर्णाहुति पर गवर को पहुंचाने की रस्म का निर्वहन होगा। जिसमें कई स्थानों पर मेले भरेंगे। दूसरे चरण में बारहमासा गणगौर और सबसे अंतिम चरण में धींगा गणगौर का पूजन उत्सव होगा। वहीं पुरुषों की मंडलियों की ओर से पारम्परिक रूप से गणगौर के गीतों का गायन किया जा रहा है।
भरेंगे मेले, होंगे गीत-नृत्य
गणगौर पूजन उत्सव के दौरान शहर में जूनागढ़, चौतीना कुआ, जस्सूसर गेट, ढढृढो का चौक और बारह गुवाड़ चौक सहित विभिन्न स्थानों पर गणगौर के मेले भरेंगे। जूनागढ़ से शाही लवाजमें के साथ गणगौर की सवारी निकलेगी। चौतीना कुआ से भुजिया बाजार तक गणगौर दौड़ का आयोजन होगा। बाला गणगौर पूजन उत्सव के दौरान बालिकाएं अलसुबह घरों की छतों पर मां गवरजा का पूजन पारम्परिक गणगौरी गीतों के साथ कर रही है। शाम को गणगौर प्रतिमाओं के समक्ष गीत-नृत्य के आयोजन होंगे। बासा देने परम्परा का निर्वहन होगा।
मांडणों से दिया कोरोना बचाव का संदेश
बाला गणगौर पूजन के दौरान बालिकाएं मिट्टी से पारम्परिक मांडणे चित्रित कर उनको विभिन्न रंगों की गुलाल से सजाती है। मांडणों में पारम्परिक चित्रों के साथ इस बार कोरोना संक्रमण का भी असर नजर आ रहा है। बालिकाएं मांडणों के माध्यम से दो गज दूरी मास्क जरूरी, मास्क जरुर पहने, भीड़भाड वाले स्थानों से बचे आदि का संदेश दे रही है।
पुुरुष गाते है गणगौरी गीत
गणगौर महिलाओं का पर्व माना जाता है, लेकिन बीकानेर में पुरुष मां भगवती के इस पूजन उत्सव में बढ़ चढ़ कर शामिल होते है। पूजन उत्सव के दौरान पुरुषों की कई मंडलिया पारम्परिक रूप से गणगौरी गीतों का गायन करती है। इसकी शुरूआत धुलंडी के दिन से की गई। बारह गुवाड़ चौक, सूरदासाणी मोहल्ला, भट्ठड़ो का चौक आदि स्थानों पर पुरुषों की मंडलियों ने गणगौरी गीतों का गायन किया। पूजन उत्सव के दौरान ये मंडलिया घर-घर और मोहल्लों में पहुंचकर मां गवरजा की स्तुती वंदना करते है।
सजने लगी गणगौर
बाला गणगौर पूजन उत्सव के साथ ही घर-घर से बाजारों तक ईशर, गवर और भाया की प्रतिमाओं के रंग रोगन, सजाने का काम शुरू हो गया है। घरों में बालिकाएं व महिलाएं गवर-ईशर को पारम्परिक वस्त्र-आभूषणों से सजा संवार रही है। गणगौर प्रतिमाओं की बिक्री भी अब बढऩी शुरू हो गई है। वहीं गणगौर प्रतिमाओं के रंगने का काम भी बड़े स्तर पर चल रहा है।
Published on:
31 Mar 2021 11:38 am
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