इस पर तनुश्री कहती हैं कि समाज आज भी महिलाओं को १० से ५ बजे तक ड्यूटी वाली नौकरियों के लिए प्रोत्साहित करता है, ताकि वह सुबह और घर में चौके-चूल्हे की जिम्मेदारी उठाए। यह भी ठीक है, लेकिन एक महिला के नाते मेरा कहना है कि आईने के सामने पांच मिनट खड़े होकर गलत-सही पर चिंतन करें। बड़ों का आदर और छोटों से प्रेम करें तो कुछ भी गलत नहीं होगा।
बीकानेर सेक्टर में २०० महिला प्रहरी करती हैं सरहद पर ड्यूटी
बीकानेर . महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोह मनवा रही हैं। वे देश की सुरक्षा और विषम परिस्थिति में बॉर्डर पर ड्यूटी संभालने में भी गुरेज नहीं कर रही। रेगिस्तानी इलाके वाले बीएसएफ के बीकानेर सेक्टर में महिला प्रहरी भीषण गर्मी और कड़ाके की सर्दी में बॉर्डर पहरा देने की कठिन जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम दे रही हैं। वहीं उपनिरीक्षक और सहायक उपनिरीक्षक स्तर की पांच महिला प्रहरी तो बॉर्डर पर चौकी प्रभारी जैसी जिम्मेदारी उठा रही हैं। बीकानेर जिले से सटी १६० किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ के चौकस सीमा प्रहरियों में २०० महिला प्रहरी दिन-रात ड्यूटी कर रही हैं। बीएसएफ में साल २००९ में महिला कार्मिकों का पहला बैच ड्यूटी पर आया था। इसके बाद लगातार भर्तियों में महिलाओं की संख्या बढ़ती गई है। अब प्रत्येक सेक्टर में करीब दो से ढाई सौ महिलाएं पश्चिमी सरहद पर बीएसएफ के पास हैं।