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स्ट्रगल का मतलब है खुद की ईमानदारी से खोज करने निकलना- अभिनेता सुधीर पाण्डे

Bikaner News: अभिनेता सुधीर पाण्डे का साक्षात्कार बीकानेर में

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स्ट्रगल का मतलब है खुद की ईमानदारी से खोज करने निकलना- अभिनेता सुधीर पाण्डे

स्ट्रगल का मतलब है खुद की ईमानदारी से खोज करने निकलना- अभिनेता सुधीर पाण्डे

दिनेश कुमार स्वामी
बीकानेर. रेडियो पर वॉयसओवर करने से लेकर टीवी सीरियल और फिल्म सिनेमा तक का अपने अभिनय के बलबूते पहचान बनाने वाले सुधीर पाण्डे का कहना है कि नए कलाकारों ने स्ट्रगल शब्द को गलत रूप में लेना शुरू दिया है। असल में स्ट्रगल का मतलब खुद की ईमानदारी से खोज करने निकलना है। इसमें अंदर से ईमानदार होना जरूरी है। खुद में किस स्तर तक की काबिलियत है यह स्वीकार करें और गलतफहमी नहीं पालें। पाण्डे ने सोमवार शाम बीकानेर आने के दौरान राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत की।

दूरदर्शन पर ब्लैक एंड व्हाइट धारावाहिकों में काम करने से लेकर पांडे ने अमिताभ बच्चन से लेकर अक्षय कुमार तक पांच दशक में लगभग सभी बड़े कलाकारों के साथ फिल्मों और टीवी सीरियल में काम किया है। उनके अभिनय वाले प्रसिद्ध धारावाहिकों में अमानत, वारिस, बुनियाद, ससुराल गैंदा फूल जैसे दर्जनों नाम है। अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म शान से फिल्मी केरियर की शुरुआत करने वाले सुधीर पांडे ने छोटे व बड़े पर्दे पर एक आम व्यक्ति के किरदारों को बखूबी निभाया।

सवाल- रेडियो धारावाहिको से लेकर आज ओटीटी तक कैसे सब कुछ बदला है?

सुधीर पांडे- सिनेमा टेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ है। जैसे-जैसे तकनीक बदलती गई सिनेमा भी बदलता गया। वर्ष 1971 में ब्लैक एंड व्हाइट सीरियल से शुरुआत की। बाद में रंगीन और अब डिजिटल रिकॉर्डिंग होने लगी। कोविड के बाद ओटीटी ने तो पूरी दुनिया से सिनेमा को जोड़ दिया। इसी के साथ कंटेंट भी तकनीक के साथ बदलते गए है। पहले हीरो-हेरोइन, विलेन और कॉमेडियन का सेट फार्मूला होता था। फिल्मों की कहानी इन्हीं के इर्द-गिर्द बुनी जाती थी। अब रियल लाइफ पर फिल्में बनने लगी हैं।सवाल- आपने इंटरनेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से अभिनय का प्रशिक्षण लिया, कलाकार के लिए अभिनय की पढ़ाई करना कितना जरूरी है?

सुधीर पांडे- जब 1974 में उन्होंने पूना इंस्टीट्यूट में प्रवेश लिया तब एक मिथ था कि एक्टिंग पढ़ने वाली चीज नहीं। परन्तु मेरा मानना है कि प्रतिभा के साथ प्रशिक्षण कलाकार को तराशता है। नवोदित कलाकारों को थियेटर जरूर करना चाहिए। इससे प्रतिभा में निखार आने के साथ अंदर से एक वास्तविक कलाकार जन्म लेता है। बाकि जो भी किरदार करें, उसमें पूरा डूबकर और ईमानदारी से करेंगे तो दर्शक जरूर पसंद करेंगे।सवाल- पांच दशक के कॅरियर में अब तक कितनी फिल्म, सीरियल में अभियन कर चुके हैं?

सुधीर पांडे- करीब दो सौ फिल्मों और धारावाहिकों में अभिनय कर चुके हैं। थियेटर और टीवी सीरियल में काम ज्यादा करने से फिल्मों के लिए समय कम दे पाए। अभी इस साल उनकी दो फिल्में आ रही है। इनमें सरकार की सेवा में फिल्म में उन्होंने सरकारी नौकरी से सेवानिवृत पिता की भूमिका निभाई है। उनकी अंतिम फिल्म टॉयलेट एक प्रेमकथा थी। स्टार प्लस पर अंतिम प्रसारित सीरियल जिंदगी मेरे घर आना है।