
नारी जीवन के दो पड़ावों का करवाया परिचय
बीकानेर. उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला के तत्वावधान में रेल नाट्य समारोह के दौरान बुधवार को रेलवे प्रेक्षागृह में नाटक रक्तपुष्प का मंचन किया गया। महेश एलकुंचवार के नाटक में नारी जीवन के दो महत्वपूर्ण पड़ावों का परिचय करवाया है। पहले पड़ाव में जब वो किशोरवय में प्रवेश करती है और टीएज में लड़की से युवती बनने के कई नवीन मनोभावों और शारीरिक परिवर्तन दिखाए। वहीं दूसरे पड़ाव में 50 वर्ष की उम्र में मिडिल एज में अपने शरीर और मनोभावों में पुन: एक प्राकृतिक परिवर्तन अनुभव करती है। एक जहां यौवन से परिचय हो रहा है और दूसरा जहां युवावस्था का समापन हो रहा है। पहले रूप लावण्य और यौन चेतना तथा दूसरा सौन्दर्य, आकर्षण और इच्छा का अवसान है। इन दोनों नारी पात्रों के मध्य होने वाले स्वाभाविक तनावों के बीच संतुलन बनाने की चेष्टा करता घर का एक पुरुष है। इस पारिवारिक परिस्थिति में उलझा हुआ, किशोर वय का एक पेइंग गेस्ट है। नाटक मूलत: मराठी में लिखा गया था और इसका हिन्दी अनुवाद भी इस नाटक के निर्देशक सौरभ श्रीवास्तव ने पिता की भूमिका निभाई है। अन्य कलाकारों में सुस्मिता श्रीवास्तव, मृद्वीका त्रिपाठी और पीयूष शर्मा ने अभिनय किया। इसके अलावा प्रकाश व्यवस्था में राजेन्द्र शर्मा, रूप सज्जा में भुवनेश भटनागर और ध्वनि संचालन में शाश्वत श्रीवास्तव ने किया।
Published on:
01 Nov 2018 01:15 am
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