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राजस्थान में क्लास 3, 4, 5 की पुस्तकों में खेजड़ली पर पाठ, विद्यार्धी पढ़ेंगे अमृतादेवी का बलिदान

पेड़ों की रक्षा के लिए मां अमृतादेवी बिश्नोई के बलिदान और 363 शहीदों की कहानी को किताबों में पढ़ सकेंगे।

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Photo- Patrika Network

दिनेश कुमार स्वामी

अब विद्यार्थी वर्ष 1730 में जोधपुर के खेजड़ली गांव में हुई खेजड़ी को बचाने की घटना, पेड़ों की रक्षा के लिए मां अमृतादेवी बिश्नोई के बलिदान और 363 शहीदों की कहानी को किताबों में पढ़ सकेंगे। देशभर के साथ प्रदेश के स्कूलों में पहुंची एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की कक्षा 3, 4 और 5 की पुस्तकों में खेजड़ली बलिदान की गाथा को शामिल किया है। तीनों कक्षाओं की पुस्तक में एक-एक अध्याय में इसे जगह मिली है।

स्कूली पाठ्यक्रम में खेजड़ी पर अध्याय

उद्देश्य: विद्यार्थियों को चार पहलू समझाना

-1730 में हुए खेजड़ली नरसंहार की जानकारी देना।

-रेगिस्तान में खेजड़ी वृक्ष का महत्व समझाना।

-पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा के लिए प्रेरणा।

-सामाजिक न्याय के लिए लड़ने की सीख देना।

कक्षा-3, विषय- पर्यावरण अध्ययन

पुस्तक- हमारा परिवेश भाग-1

अध्याय-15, खेजड़ली का बलिदान: पेड़ों के सच्चे रक्षक

कक्षा-4, विषय- हिंदी

पुस्तक- हिंदी सुमन भाग-2

अध्याय-13, धरती राजस्थान की

कक्षा-5, विषय- हिंदी

पुस्तक- हिंदी सुमन

अध्याय-16, उत्सर्ग

एनसीईआरटी की तीन पाठ्य पुस्तकों में मां अमृता देवी बिश्नोई के बलिदान, पेड़ और पर्यावरण की रक्षा के तीन अध्याय छपकर आए हैं। बिश्नोई समाज की मांग को केंद्र-प्रदेश सरकार ने पूरा किया है।

-शिवराज बिश्नोई, राष्ट्रीय प्रवक्ता, अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई महासभा