
तेरूंडे के लिए शुरू हुई खरीदारी
बीकानेर. मकर संंक्रांति पर दान-पुण्य का विशेष महत्व बतलाया गया है। मकर संक्रांति पर लोग तिल, गुड और गर्म वस्त्रों का प्रमुखता से दान करते है। शहर में मकर संक्रांति पर एक समान तेरह वस्तुओं के दान की विशेष परम्परा है, जिसे ‘तेरुंडे’ के नाम से जाना जाता है। विशेषकर महिलाएं तेरुंडे’ में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का दान करती है। बहन, बेटियों, कुलगुरु सहित मंदिरों और जरुरतमंद लोगों को तेरुंडे’ के रूप में वस्तुए और तिल व गुड से बनी खाद्य वस्तुएं और अन्य प्रकार का सामान दिया जाता है। तेरुंडे’ के लिए शहर में खरीदारी शुरू हो गई है। विभिन्न बाजारों में महिलाएं खरीदारी में जुट गई है।
इन वस्तुओं का दान
तेरुंडे’ के रूप में दी जाने वाली वस्तुएं व्यक्ति की यथा शक्ति पर निर्भर करती है। महिलाएं घरेलु उपयोग के सामानों सहित रजाई, बिस्तर, तकिया, गर्म कंबल,स्वेटर, चद्दर, साबुन, मंजन, बर्तन, सुहाग सामग्री सहित सोने व चांदी से बने आभूषण आदि तेरुंडे’ के रूप में दान करते है। तिल व गुड से बने लड्डू, तिलपट्टी, घेवर, फीणी भी तेरुंडे’ के रूप में दिए जाते है। विभिन्न प्रकार के सौन्दर्य प्रसाधान सामग्री से तैयार छाबड़ी भी दी जाती है।
सूर्य संक्रांति सहित अधिक मास के कारण तेरह
ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार धर्मशास्त्रों में मकर संक्रांति पर तिल व गुड से बनी खाद्य सामग्रियां, गर्म वस्त्रों के दान का विशेष महत्व बतलाया गया है। एक वर्ष के बारह महीनों में सूर्य अलग-अलग राशियों में भ्रमण करता है। इसे सूर्य संक्रांति कहते है। साल की बारह सूर्य संक्रांति के साथ एक संक्रांति अधिक मास की होती है। इसलिए श्रद्धालु लोग तेरह वस्तुओं का दान करते है।
Published on:
30 Dec 2020 05:38 pm
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