
इस भाषा में छिपा है पीढिय़ों का वंशवृक्ष
भैराराम तर्ड
सुरनाणा. बिना मात्रा की अलबेली भाषा, जिसमें छिपी है, पूर्वजों की गाथा यानी पैदाइश, जन्मस्थान, जाति, गोत्र, निवास, प्रस्थान, प्रवास और निर्वाण का ब्यौरा। भाषा का नाम हैं मुडिय़ा, जिसे लिखने और समझने का एकाधिकार कमोवेश राव वंश परम्परा के लोगों को है। सदियों पुरानी इस बिना मात्रा की अलबेली भाषा के विशेषज्ञ ये राव वंश परम्परा के लोग पीढिय़ों से विभिन्न समाजों की वंशबेल का लेखा-जोखा अपने पास संजोये हैैं।
पुराने समय में बुजुर्गों से सुनी वंशावली परम्परा का संवद्र्धन राव वंश के लोग मौखिक रूप से करते थे। बाद में भोज पत्र और ताम्रपत्र पर वंशावली लेखन करने लगे और फिर कागज का उपयोग होने लगा। अब बहियों पर मुडिय़ा भाषा में वंशावली लेखन कर रहे हैं। बिना मात्रा की अलबेली भाषा में वंशावली लेखन सदियों से निर्वहन कर रहे राव परिवार से जुड़े जीतू राव निवासी आसलपुर के जवाब कुछ इस तरह से हैं।
- राव परंपरा कब से शुरू हुई व इसकी क्यों जरूरत पड़ी?
- पहले यह परंपरा मौखिक होती थी व सुनकर याद रखते थे। इसके बाद ताम्रपत्र भोजपत्र पर लिखने लगे। कागज का आविष्कार हुआ। हम मगध वंश से ही खुद को मानते हैं।
- यह परंपरा निभाते हुए कौन सी पीढ़ी चल रही है?
-विभिन्न जातियों के इतिहास और वंशावली संजोए रखने के लिए मगध वंश से ही परंपरा चलती आ रही है।
- जाट जाति से जुड़ी वंशावली लेखन में कौन-कौन इस परंपरा को निभा रहे हैं?
इस पीढी में गोङ्क्षवदराम, बीरबलराम, मोहनराम, सोहनराम, जीतू राव आदि वर्तमान में निभा रहे हैं।
- लालन-पालन इसी से चलता है।
-हां हमारे परिवार का लालन पालन इस राव परंपरा से ही चल रहा है।
- रेकॉर्ड कैसे सुरक्षित रखते हैं?
-पुरानी बही घर में रखते हैं। उसके भरने के बाद नई बनाई जाती है। जैसे-जैसे वंश बढ़ोतरी होती है। वैसे-वैसे नई बही बनाई जाती है।
-राव भाट की परंपरा को संस्थान या परिवार के हिसाब से बांट रखा है?
-हां इस परंपरा में अखिल भारतीय वंशावली संरक्षण एवं संवर्धन संस्थान है। जैसे-जैसे परिवार बढ़ता है उसके हिसाब से बंटवारा होता है और परिवार के हिसाब से हम चलते हैं। इस संस्थान में रामङ्क्षसह राव आसलपुर झोटवाड़ा विधानसभा वंशावली संरक्षण एवं संवर्धन संस्थान अकादमी के चेयरमैन है। इससे पहले महेंद्र ङ्क्षसह राव थे।
- इस काम में अपना भविष्य कहां तक तलाशते हैं?
-हमारा भविष्य वंशावली संरक्षण में सुरक्षित है। भविष्य में इतिहास की जरूरत पहले भी थी वर्तमान में भी है और आगे भी रहेगी।
- आप कहां रहते हो खेड़ा है या सामुहिक परिवार में?
-हमारा एक खेड़ा हैं जिसमें सो डेढ़ सौ घरों का एक परिवार रहता है।
-10 आपके परिवार में इस बही को आने वाली राव परिवार की पीढिय़ां इस काम को कहां तक जारी रखेगी या नहीं?
-यह हमारी पहचान है। यह निरंतर चलता रहेगा। यह हमारी जिम्मेदारी भी है कि इतिहास को बचाकर संजोए रखने के लिए हम दिन रात मेहनत करते हैं।
Published on:
25 May 2022 06:30 pm
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