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नापासर में नील गाय ने बुजुर्ग की जान ली

दीवार से भिड़ाया, सींगों से पेट पर वार कर आंतें बाहर निकली, मौके पर ही दम टूटा

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नापासर में नील गाय ने बुजुर्ग की जान ली

नापासर में नील गाय ने बुजुर्ग की जान ली

बीकानेर। पशुओं को रोही में छोडऩे जा रहे एक बुजुर्ग पर गुरुवार सुबह नील गाय (रोजड़े) ने हमला बोल दिया। नील गाय ने बुजुर्ग को दीवार से भिड़ा दिया। नीलगाय ने सींगों से दो-तीन वार किए, जिससे उसकी पेट की आंतें बाहर आ गई और मौके पर ही दम टूट गया।

पुलिस के अनुसार गुरुवार सुबह सात बजे सींथल बाईपास जाट माहल्ला निवासीनिवासी मघाराम भाकर (65) अपनी गायों को गोचर में छोडऩे गया था। रीको क्षेत्र के पीछे कृषि मंडी की दीवार के पास अचानक नीलगाय ने बुजुर्ग पर हमला कर दिया। दीवार से भिड़ाकर सींगों से पेट पर अत्यधिक वार किए जिससे बुजुर्ग के पेट से आंते तक बाहर निकल गई। इस कारण मौके पर ही बुजुर्ग की मौत हो गई। बताते है कि यह पूरा घटनाक्रम फैक्ट्री मजदूरों की आंखों के सामने हुआ लेकिन बुजुर्ग को बचाने कोई नहीं आया। फैक्ट्री के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। सूचना के बाद कार्यवाहक थानाधिकारी जगदेव सिंह, एएसआई रविन्द्र सिंह, कांस्टेबल आरिफ मोहम्मद, सचिन पूनिया मौकेपर पहुंचे और शव को कब्जे में लिया। बाद में शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों के सुपुर्द कर दिया।

जंगली कुत्तों, ***** और रोजड़ों से भरी पड़ी है गोचर
नापासर में उत्तर दिशा की रोही में जंगली जानवरों के आतंक से कस्बे के लोग परेशान हो है। गोचर में नीलगाय, शिकारी कुत्ते व जंगली सुअरों ने आंतक मचा रखा है। प्रतिदिन गायों बछड़ो का शिकार करते है अब तो इतने हिंसक हो चुके है कि इंसान की जान लेने से भी नही चुके। गोचर भूमि की तरफ रोजाना खेत जाने वाले ग्रामीणों व घूमने आने वालो का आवागमन रहता है इस घटना से अब खतरा बढ़ गया है। कस्बेवासियों ने घटना पर रोष प्रकट करते हुए जिला प्रशासन व वन विभाग से इनको पकडऩे की मांग की है।

घर पर मचा कोहराम
मघाराम भाकर की मौत का समाचार मिलते ही उनके घर पर कोहराम मच गया। छोटे भाई गोविंदराम भाकर व उनका लड़का मनोज भाकर जब घटनास्थल पर पहुंचे तो मघाराम के शव को देखा रुलाई फूट पड़ी। तब वहां मौजूद लोगों ने उन्हें संभाला। मृतक मघाराम भाकर मिलनसार नेकदिल इंसान थे। मघाराम घर पर ही परचून की दुकान चलाते थे। परिजनों के मुताबिक वह पहली बार ही इतनी दूर गायों को छोडऩे गए थे और यह हादसा हो गया। घर बोलकर गए थे थोड़ी देर में आ जाऊंगा लेकिन वे अब कभी नहीं आएंगे।

इनका कहना है...
खतरे को भांप कर गुस्सा होना पशुओं का स्वभाव होता है। वह नीलगाय हो चाहे कोई पशु हो। अक्सर प्रेगनेंसी के दौरान व बाद में खतरे को देखकर पशु गुस्सैल हो जाते है। नीलगाय झुंड में रहती है। यह प्राय: किसी पर हमला नहीं करती है।
डॉ. प्रवीण बिश्नोई, सर्जरी विभागाध्यक्ष वेटरनरी कॉलेज बीकानेर