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पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थलीय इलाके में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से प्रोत्साहित होकर काश्तकार फलों के बगीचे, सिंचाई में जल बचत खेती, जैविक खेती और खेती में सौर ऊर्जा के उपयोग की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं।
परम्परागत खेती वाले इलाके के काश्तकारों ने प्रोत्साहन योजना एवं अनुदान के चलते कृषि में नई तकनीकों को आत्मसात किया है। बीकानेर जिले में इसका असर दिखाई देने लगा है। गांवों में बारानी खेती के बीच कुओं से सिंचित खेती में फलों के उद्यान, स्प्रिंकलर सिंचाई और सौर ऊजा पम्प आम होने लगे हैं।
जिले में विभिन्न तरह के फलों के 212 हैक्टेयर में बगीचे लगाए गए हैं। इसमें अनार, संतरा, किन्नू , खजूर, आम और केला शामिल है। इस मद में 18 लाख 4 हजार रुपए का काश्तकारों को अनुदान दिया गया है।
इसमें से खजूर का बगीचा 51.54 हैक्टेयर में फैले हुए हैं। वहीं उद्यानिकी विकास के लिए वर्षा जल संग्रहण के लिए पिछले तीन वर्षों में 10 सामुदायिक जल स्रोतों का निर्माण किया गया है। इस मद में 1 करोड़ 37 लाख का अनुदान दिया गया है।
इसी तरह जिले में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए 88 हजार वर्ग मीटर ग्रीन हाउस का निर्माण हुआ है। इस पर 415.40 लाख रुपए का अनुदान दिया गया है। जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए 12 वर्मी कम्पोस्ट शैड के लिए 5.50 लाख रुपए का अनुदान दिया गया।
इस तरह सौर ऊर्जा पंप संयंत्र लगाने के लिए प्रोत्साहन योजना में अनुदान के लिए शामिल किया गया है। जिले में प्रधानमंत्री सिंचाई योजना में कुल 4471.72 हैक्टेयर में ड्रिप व मिनी स्प्रिंकलर लगाए गए। इस योजना में 2695.45 लाख रुपए का अनुदान दिया गया।
Published on:
19 Dec 2016 01:01 pm
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