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बंधे हाथों से पद संभाल रहे साब को सिर्फ कुर्सी

bikaner nagar nigam- निगम आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे यूआईटी सचिव के पास सिर्फ दैनिक कार्यभारस्थाई आयुक्त न होने से आमजन के काम ठप, चैक पॉवर न होने से भुगतान अटका कमेटियों पर भी निर्णय नहीं  

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बंधे हाथों से पद संभाल रहे साब को सिर्फ कुर्सी

बंधे हाथों से पद संभाल रहे साब को सिर्फ कुर्सी

बीकानेर. पिछले 22 दिनों से आयुक्त पद पर स्थाई नियुक्ति नहीं होने से निगम के प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे है। निगम में निर्वाचित बोर्ड होने के बाद भी कमेटियों के अधरझूल में होने से आमजन को राहत नहीं मिल पा रही है। सभी वार्डो में होने वाले बीस-बीस लाख रुपए के विकास कार्यो की बिना आयुक्त के निविदा प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है।

हालांकि जिला कलक्टर की ओर से नगर विकास न्यास के सचिव को निगम के आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है, लेकिन सचिव के पास केवल दैनिक कार्यो का कार्यभार होने से भुगतान संबंधित सभी कार्य ठप पड़े है। कार्यवाहक आयुक्त के पास आयुक्त का पूरा चार्ज नहीं होने से वित्तीय और प्रशासनिक निर्णय नहीं ले पा रहे है।

ऐसी स्थिति में न निर्वाचित पार्षद निगम कार्यो से संतुष्ट नजर आ रहे है और ना ही आमजन। निगम में किसी अधिकारी के पास आहरण वितरण अधिकारी का चार्ज नहीं होने से कर्मचारियों को भी बकाया वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है। जुलाई के वेतन को लेकर भी संशय बना हुआ है।

निविदाएं निकल रही ना नए कार्यो की स्वीकृति
हर वार्ड में बीस-बीस लाख रुपए के विकास कार्य करवाने को लेकर पार्षदों से प्रस्ताव लिए जा चुके है। एस्टीमेट बन चुके है और कागजी कार्यवाही लगभग पूरी है, लेकिन आयुक्त नहीं होने से इन कार्यो की निविदाएं जारी नहीं हो पा रही है। शहर में होने वाले नए विकास कार्यो पर भी निर्णय नहीं हो पा रहा है।

कमेटियां अधरझूल में, अधिकारी ले रहे निर्णय
निगम में निर्माण, विकास, स्वच्छता, सार्वजनिक रोशनी सहित सभी प्रकार के निर्णय अधिकारियों के स्तर पर ही हो रहे है। बोर्ड और कमेटियों के माध्यम से आमजन को जो राहत मिलनी चाहिए, वह अब तक नहीं मिल पाई है। कमेटियों को लेकर चल रहा विवाद और मामला न्यायालय में होने के कारण कमेटियों के स्तर पर लिए जाने वाले निर्णय भी उन्ही अधिकारियों के भरोसे है।

महापौर जिम्मेदार
शहर का विकास सभी के सामुहिक प्रयासों और सहयोग से ही संभव होता है। महापौर ऐकला चलो और हठ की नीति से काम कर रही है। अधिकारियों से इनकी बन नहीं रही है। न पार्षद निगम की कार्यशैली से खुश है और ना ही जनता। निगम में वित्तीय और प्रशासनिक कार्य सुचारू रूप से चले यह महापौर की जिम्मेदारी है।
अंजना खत्री, कांग्रेस पार्षद

सरकार नाकाम
कोरोना संकटकाल में मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता की सुध लेने की बजाय अपनी सरकार को बचाने में जुटे है। कांग्रेस में कलह मची हुई है। निगम में आयुक्त की नियुक्ति सरकार की ओर से की जानी है। किसी अधिकारी के पास चैक पॉवर नहीं होने से भुगतान नहीं हो पा रहा है। यह सरकार और डीएलबी की नाकामी है।
राजेन्द्र पंवार, उप महापौर, नगर निगम बीकानेर