
जयभगवान उपाध्याय
बीकानेर. भुजिया, कचौरी-पकौड़ी, नमकीन आदि बनाने वाले व्यापारी तेल को 3 बार से अधिक नहीं उबाल सकेंगे। इसके लिए केन्द्र सरकार ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसआइ) के नियमों की सख्ती से पालना के निर्देश दिए हैं।
एफएसएसआइ के नियमों के अनुसार देश में नमकीन-भुजिया उद्योग तथा होटल-रेस्टोरेंट सहित ऐसे प्रतिष्ठान जहां रोजाना 50 लीटर से ज्यादा खाद्य तेलों का उपयोग होता है, वहां खाद्य तेलों को अधिकतम 3 बार ही उपयोग में लिया जा सकेगा। इसके बाद बचे तेल को बायोडीजल बनाने में काम लिया जाएगा।
बचा हुआ यह तेल एसएसएफआइ से अधिकृत बायोडीजल बनाने वाली एजेन्सियों को देना होगा। जानकारों के अनुसार देश में 20 बायोडीजल उत्पादकों को इस तेल के संग्रहण एवं बायोडीजल बनाने के लिए अधिकृत किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार ईंधन पर आत्मनिर्भरता के साथ कार्बन उत्सर्जन एवं मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह निर्णय लिया है। इसके बाद राष्ट्रीय बायोफ्यूल नीति 2018 के अन्तर्गत फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड ऑथॉरिटी ने इस आशय का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
काला पड़ जाए, तब तक लेते काम
प्राधिकरण ने खाद्य तेल के बार-बार उपयोग पर पाबंदी भले ही लगा दी हो लेकिन अभी स्थिति यह है कि ज्यादातर कारोबारी खाद्य तेल को काला पड़ने तक काम में लेते हैं।
यह रहता खतरा
पीबीएम अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीके गुप्ता का कहना है कि बार-बार उपयोग में लिए जाने वाले खाद्य तेल से बने उत्पाद खाने से कैंसर, दमा, अस्थमा, हृदय रोग, लिवर एवं आंत संबंधी बीमारियों का खतरा रहता है। ऐसे तेल से बने साबुन का उपयोग करने से त्वचा कैंसर भी हो सकता है।
Updated on:
19 Jan 2021 03:26 pm
Published on:
19 Jan 2021 02:08 pm
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