
milk day
बीकानेर. भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र की ओर से विश्व दुग्ध दिवस के उपलक्ष्य पर उष्ट्र दूध के उपभोक्ताओं के साथ ऑनलाईन विचार गोष्ठी हुई। केन्द्र ने ऊंटनी के दूध के औषधीय महत्व को ध्यान में रखते हुए राजस्थान में लक्ष्मणगढ़, जयपुर, पंजाब से कपूरथला, चंडीगढ़, जम्मू, दिल्ली, पटना, इंदौर, बेंगलुरु, पुणे व चेन्नई से जुड़े ऑटिज्म रोग से ग्रसित बच्चों के परिजनों से चर्चा की गई।
वहीं मधुमेह के रोगियों में विशेषकर बीकानेर, गंगानगर, सूरत, मुंबई से जुड़े मरीजों से भी चर्चा की गई। इसके साथ ही ऊंटनी के दूध व्यवसाय से जुड़े कई संगठनों,उद्यमियों,ऊंट पालकों यथा आदविक फूड्स, जैसलमेर कैमल मिल्क डेयरी, जयपुर से सारिका रायका दूध भंडार, लोकहित पशु पालन संस्थान सादड़ी, भरजा, सिरोही के साथ गहन चर्चा की गई।
वार्ता दौरान ऊंटनी के दूध को प्रयुक्त कर रहे ऑटिज्म ग्रसित बच्चों के परिजनों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि इन विशेष बच्चों में कुछ में अति सक्रियता का होना, आवाज चली जाना, मुंह से लार टपकते रहना, बच्चे की अनियंत्रित गति, वजन का बढऩा इत्यादि में सुधार होने लगता है। फरीदकोट के विशिष्ट बच्चों के लिए स्पेशल सेंटर की गतिविधियों के बारे में वार्ता की। वहीं मधुमेह टाइप-1 रोगियों ने ऊंटनी के दूध से स्वास्थ्य लाभ प्राप्ति के बारे में बताया।
केन्द्र निदेशक डॉ. आर. के. सावल ने कहा कि विश्व प्रसिद्द यह केंद्र ऊँटनी के दूध के उत्पादन एवं उसमें विद्यमान औषधीय गुणों पर गत डेढ़ दषक से सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है ताकि आमजन के समक्ष इस दूध के महत्व को प्रतिपादित किया जा सके। इसके दूध में विद्यमान कई प्रकार के रक्षात्मक प्रोटीन्स जैसे लाइसोजाईम, लैक्टोफेरिन, लैक्टोपरऑक्सीडेज एवं पैप्टीडोग्लाइकान पाए जाते हैं। यह दूध मधुमेह प्रबंधन, क्षय रोग, दूध एलर्जी, कोलेस्ट्रॉल घटाने की क्षमता, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर आदि में लाभकारी पाया गया है।
Published on:
01 Jun 2020 07:27 pm
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