
जो नेता आपके विरोध में थे, आज सरकार में बैठे आपके सुर में सुर मिला रहे हैं...कैसे 'मैनेज
-हरेन्द्रसिंह बगवाड़ा
बीकानेर. सरकार के खिलाफ जब सत्ताधारी दल ही आंदोलन पर उतारू हो जाए, तो स्थिति गंभीर हो जाती है। बीकानेर में बिजली आपूर्ति कम्पनी के खिलाफ पिछले दिनों युवक कांग्रेस ने जमकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि बीकानेर की जनता बीकानेर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई लिमिटेड से जनता आजिज आ चुकी है। पत्रिका ने इसी मसले पर कम्पनी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) शांतनु़ भट्टाचार्य से बात कर मामले की तह में जाने का प्रयास किया। पेश है उनसे बातचीत के अंश।
सवाल- विरोध करने वालों का आरोप है कि कम्पनी जनता की जेब काट रही है। जिनकी जेब नहीं काट पा रही उनके कनेक्शन काट रही है। क्या वाकई ऐसा है?
जवाब- नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। अनुबंध के तहत कम्पनी अपनी मर्जी से एक भी पैसा वसूल नहीं कर सकती। बिजली की दरें नियामक आयोग तय करता है, उसी के अनुरूप उपभोक्ताओं को बिल जारी करते हैं। कोरोना के कारण लोगों की आय पर विपरीत असर पड़ा है। जिसका असर पूरे बाजार पर है। बिजली कम्पनी भी अछूती नहीं है। आज हम बिजली का ९५ प्रतिशत रेवेन्यू वसूल कर रहे हैं, कोरोना काल में यह घटकर ७० फीसदी रह गया था। जबकि डिस्कॉम को हम शत-प्रतिशत पैसा दे रहे हैं।
सवाल- जनता की शिकायत है कि आपने जबरन पुराने मीटर हटाकर तेज चलने वाले मीटर लगा दिए।
जवाब- ये शिकायत आम है। हमारे पास भी ऐसी शिकायतें आती रहती है। स्पष्ट कर दूं कि हम जो मीटर लगा रहे हैं वे विश्वस्तरीय हैं। कई दफा जांच हो चुकी। पिछले कलक्टर ने अपनी एक कमेटी बनाकर जांच करवाई। हर जांच में मीटर खरे पाए गए। हां, ये मीटर संवेदनशील जरूर होते हैं। लिहाजा उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे बल्ब की जगह एलईडी का उपयोग करें। पांच सितारा रेटिंग वाले एसी, वाशिंग मशीन और अन्य इलेक्ट्रिक उत्पादों का उपयोग करें। अनावश्यक बल्ब,ट्यूबलाइट या पंखों को न चलने दे।
सवाल- आप माने या न माने, लेकिन ओवर बिलिंग की शिकायतें तो हैं। ऐसा क्यों लगता है कि कम्पनी बीकानेर की जनता को सुविधाएं देने की तुलना में वसूली पर ज्यादा ध्यान दे रही है?
जवाब- देखिए, हम २४ में से २३.४५ घंटे बिजली उपलब्ध करवा रहे हैं। जब आपूर्ति बढ़ेगी तो बिल का बढऩा लाजिमी है। पहले बिजली ही नदारद रहती थी, बिल कहां से आता? जिनके इनवर्टर लगे हैंं उन्हें जरूर अपनी बैटरी की जंाच करते रहना चाहिए। क्योंकि खराब बैटरी के कारण भी बिल ज्यादा आता है। फिर भी किसी को शिकायत हो तो वह फोन, ईमेल या व्यक्तिगत सम्पर्क करके अपने मीटर की जांच करवा सकता है।
सवाल- समस्याएं तो आज भी हैं। कही वोल्टेज कमजोर है तो कहीं ट्रांसफार्मर खराब होने की शिकायतें मिलती हैं। हल्की सी आंधी या बारिश आई नहीं कि बिजली गायब। क्या कहेंगे?
जवाब- शहर की नई आबादी वाले इलाकों में पिछले सालों की तुलना में चार गुणा तक लोड़ बढ़ गया है। सब स्टेशन और ट्रांसफामर्स की संख्या लगातार बढ़ा रहे हैं। हर साल अप्रेल से सितम्बर तक बिजली की मांग में बेतहाशा बढ़ोतरी हो जाती है। फिर भी हमने सिस्टम को काफी हद तक सुधारा है। यही कारण है कि आज शिकायतों में ७५ प्रतिशत कमी आई है। बीकानेर में आंधी ज्यादा भी है और आंधियों का वेग भी ज्यादा होता है। इसी तरह से बारिश में पानी भरने की समस्या भी रहती है। ऐसे में यदि बिजली नहीं काटे तो जानमाल का नुकसान होने की आशंका रहती है। लेकिन हम अति आधुनिक स्कॉडा से मानिंटरिग करते हैं। मौसम ठीक होते ही बिजली सुचारू कर देते हैं।
सवाल- पहले दो माह से बिल आते थे, अब हर महीने आ रहे हैं। क्या इससे उपभोक्ताओं को नुकसान हो रहा है?
जवाब- जी नहीं। इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, अरबन सैस प्रति यूनिट के आधार पर लगता है। प्रति माह बिल आने से इस पर कोई फर्क नहीें पड़ता। इसी तरह से फ्यूल चार्ज, कोयले की खरीद के आधार पर तय होता है।
सवाल- जो नेता बिजली कम्पनी के विरोध में थे, आज वे सरकार में होते हुए भी कम्पनी के सुर में सुर मिलाकर चल रहे हैं। यह सब कैसे मैनेज किया?
जवाब- नहीं, मैनेज करने जैसी कोई बात नहीं है। लोकतंत्र में अपनी बात कहने का सबको हक है। यदि किसी को हमसे शिकायत है तो आकर बात करे। हम आत्मावलोकन करने को तैयार हैं। हमारे काम का ही नतीजा है कि सरकार ने दो कदम आगे बढ़ाकर ट्रांसमिशन का नया जीएसएस मंजूर किया है। जिससे बिजली की उपलब्धता बेहतर हो सकेगी।
Published on:
28 Aug 2021 12:18 pm
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