ट्रेक्टर चालक प्रत्यक्षदर्शी भगवानसिंह के मुताबिक वह कॉलोनी के मुख्य प्रवेश द्वार पर पेड़ों को पानी दे रहा था, तभी एक जोरदार धमाका हुआ, वह कुछ समझ पाता उससे पहले ही उसे आसमान से एक पैराशूट उतरता दिखाई दिया। पैराशूट पेड़ों की तरफ जा रहा था तो उसने रस्सी को पकड़ कर पैराशूट को जमीन पर उतारा। भगवान सिंह ने बताया कि पैराशूट से उतरने वाले व्यक्ति ने स्वयं को भारतीय वायुसेना का पायलट बताया। पायलट की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया। पायलट ने खाली जगह देखकर विमान को छोड़ा। अगर विमान आबादी में गिर जाता तो बड़ा हादसा हो सकता था।
मिग-21 एक सुपरसोनिक विमान है, जिसकी अधिकतम गति 2200 किमी. प्रतिघंटा तक हो सकती है। अब धीरे-धीरे हो रहे रिटायर
वायु सेना के भरोसेमंद साथी मिग-21 अब रिटायर होने लगे हैं। नाल वायुसेना स्टेशन पर मिग-21 विमान को रिटायर करने के लिए 29 दिसंबर-2017 को एयरचीफ मार्शल बीएस धनोवा आए थे। तब उन्होंने मिग-21 विमान से उड़ान भर कर दो विमानों को रिटायर किया था। अब इन लड़ाकू विमानों की जगह नई तकनीक के विमान लाने के प्रयास लगातार जारी है।
हाल ही में भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वद्र्धमान ने भी पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मिग-21 से मार गिराया था। मिग-21 की मारक क्षमता बेहत सटीक होती है। इसका निशाना अचूक है। इसी खुबियों के चलते यह भारतीय सेना का सबसे भरोसेमंद लड़ाकू विमान बना हुआ है।
मिग-21 के दुर्घटनाग्रस्त होने के की सूचना मिलने के बाद सेना और बीछवाल से दमकल की चार गाडिय़ां मौके पर पहुंची। दमकलकर्मियों ने दुर्घटनाग्रस्त मिग में लगी आग को 15-20 मिनट में ही बुझा दिया। लेकिन विमान के मलबे से करीब एक घंटे बाद तक भी धुआं उठता रहा।
हादसे के बाद वायु सेना की रेस्क्यू टीम ने हेलीकॉप्टर से हवाई निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान घटना स्थल के ऊपर हेलीकॉप्टर करीब पौन घंटे तक मंडराता रहा। मिग-21 के मलबे के ठीक ऊपर 5-7 मिनट तक निरीक्षण किया। इसके बाद हेलीकॉप्टर से पूरे क्षेत्र में पांच चक्कर निकाले गए।