
polythene
क्या आपको पता है! जिन पॉलीथिन में आप और हम खाने-पीने का सामान डालकर ला रहे हैं, उसमें प्लास्टिक सिंथेटिक होता है। जो मनुष्यों और पशुओं के लिए मौत के सामान से कम नहीं है।
प्लास्टिक बनाने के उपयोग में लिए जाने वाले रसायन शरीर में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को न्यौता देते है। डॉक्टरों व साइंस एक्सर्पटस का मानना है कि पॉलीथिन कैरी बैग नहीं, जहर की थैली है। उसका उपयोग नहीं करने में ही फायदा है।
वहीं पर्यावरण, मानव और पशु जीवन के लिए यमदूत साबित हो रही प्रतिबंधित पॉलीथिन उपयोग व उसकी खरीद-बिक्री को लेकर न तो दुकानदारों में कार्रवाई का खौफ है और ना ही उपभोक्ताओं में, जो खुलेआम पॉलीथिन का उपयोग कर रहे हैं।
शहर में धड़ल्ले से पॉलीथिन, प्लास्टिक ग्लास, पैकिंग रोल सहित अन्य प्लास्टिक कंटेनस की बिक्री हो रही है। मोटे तौर पर जिलेभर में रोजाना तीस टन पॉलीथिन का इस्तेमाल हो रहा है। उसके बावजूद भी जिला प्रशासन ग्रीन ट्ब्यिूनल के आदेश पर कहीं गंभीर नजर नहीं आ रहा है।
कभी-कभार मूड बनाकर निगम प्रशासन कार्रवाई करता है तो वह भी रेहड़ी-ठेले वालों और छोटे-मोटे दुकानदारों पर कार्रवाई कर इतीश्री कर लेता है। बड़े कारोबारियों पर कार्रवाई करने की हिम्मत कोई क्यों नहीं जुटा पाता है।
खुल्म-खुल्ला हो रहा उपयोग
जिलेभर में प्रतिबंधित पॉलीथिन का सर्वाधिक उपयोग फल विक्रेता, सब्जी विक्रेता, किराना दुकानदार, मांस विक्रेता आदि कर रहे हैं। आजकल शादी-विवाह, अन्य समारोह में भी प्लास्टिक उत्पाद काम में लिए जाते हैं। जो पहले और बाद में दोनों ही स्थितियों में नुकसानदायी हैं।
पॉलीथिन, प्लास्टिक से नुकसान
पॉलीथिन से पर्यावरण, मानव और पशु जीवन को नुकसान हो रहा है। कई तरह की बीमारियां पैदा हो रही हैं। पॉलीथिन और प्लास्टिक कचरा खाकर बेसहारा गौवंश की मौतें हो रही हैं। आए दिन सीवरेज, नाला-नालियां जाम हो रही है।
तीन साल में 13 क्विंटल पकड़ी
निगम के आंकड़ों के मुताबिक तीन साल में मात्र 13 क्विंटल पॉलीथिन पकड़ी गई है। अंतिम कार्रवाई 7 दिसंबर 2016 को हुई थी। उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कलक्टर कहिन
पॉलीथिन पर कार्रवाई करने के लिए निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए है। साथ ही जनता से भी अपील है कि पॉलीथिन का उपयोग ना करें।
वेदप्रकाश, कलक्टर।
Published on:
10 Mar 2017 08:59 am
बड़ी खबरें
View Allआजमगढ़
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
