
अनार की बहार
ठुकरियासर. हरित क्रांति में अपना परचम लहरा कर मूंगफली उत्पादन में श्रीडूंगरगढ़ तहसील क्षेत्र के किसानों ने जहां अपनी अमिट छाप छोड़ी है। वहीं यह किसान भविष्य की सोच लिए इस उबड़ खाबड़ एवं रेतीली जमीन में कुछ नया करने का मानस बनाते नजर आ रहे हैं। इस क्षेत्र के किसान अब फलदार खेती व सब्जी की पैदावार लेने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। कृषि कुओं पर गेहूं, चना, सरसों मूंगफली जैसी पारम्परिक खेती के साथ अनार, पपीता, बैर, निम्बू एवं जैविक सब्जियों की पैदावर लेनी शुरू कर दी है।
तहसील क्षेत्र के करीब पचास किसानों ने पिछले दो-तीन सालों से अनार की खेती कर रखी है और कई किसान पैदावार भी लेने सहे हैं। खेती में बढ़ती लागत व कम होती आमद के चलते किसानों का रूझान पारम्परिक खेती के साथ साथ फलदार पैदावार की ओर बनता जा रहा है। पिछले २-३ सालों के दौरान श्रीडूंगरगढ़ के अलावा बाना, आडसर, सत्तासर, मोमासर, बिग्गा, रामसरा, रीड़ी, लिखमादेसर, सूडसर, लखासर, कीतासर, बाडेला सहित कई गांवों के पचास किसानों ने अनार की खेती कर रखी है। इसमें ८-१० किसानों ने फसल लेनी शुरू कर दी है।
यह हो रही है पैदावार
किसानों ने अपने खेत की दस बीघा जमीन में करीब दो हजार पौधे लगा रखे है। टिस्यू क्लचर के इन पौधों की ऊंचाई ३ से ४ फिट की है और हर एक पौधे से ८-१० किलो फल मिल रहे हैं। किसान को प्रति बीघा सत्तर से अस्सी हजार की आमद हो रही है।
ड्रिप पद्धति से फसल की सिंचाई
श्रीडूंगरगढ़ तहसील क्षेत्र में अनार की पौध उपलब्ध करवा रहे मुनीराम बाना ने बताया कि इस क्षेत्र में ड्रीप पद्धति से सिंचाई की जा रही है। बागवानी की शुरूआती लागत ४० से ५० हजार रूपए प्रति बीघा की आ रही है।
फायदेमंद साबित
अपने खेत में दस बीघा जमीन पर २८ माह पहले बाना गांव के किसान प्रभूराम बाना ने अनार के २ हजार १ सौ पोधे लगाए थे। अब इन पौधों से फल मिलने शुरू हो गए है। लाल सुरख इन फलों का वजन दो से तीन सौ ग्राम है। बाना ने बताया कि यह खेती आने वाले समय में किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
अनार की खेती के लिए अनुकूल
तहसील क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी व पानी सभी अनार की खेती के लिए अनुकूल है। किसानों ने अभी पैदावार भी लेनी चालू की दी है। यहां इस खेती में कोई विशेष समस्या नही आ रही है। हालांकि ज्यादा सर्दी के कारण फल फटने की कुछ समस्या जरूर है परन्तु पाले से बचाव के धुंआ, सिंचाई जैसे पारम्परिक साधनों से यह समस्या दूर हो सकती है।
कन्हैयालाल सारस्वत, कृषि अधिकारी, श्रीडूंगरगढ़
Published on:
17 Feb 2018 11:12 am
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