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बीस हजार पेंशनर्स के लिए एक काउंटर, कतार में उलझा उपचार

संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में आरजीएचएस योजना के पात्र मरीजों पेंशनर्स और सरकारी कर्मचारियों के लिए एक ही काउंटर है। योजना लागू हुए एक माह बीत चुका है। परन्तु व्यवस्थागत खामियों को दूर करने की दिशा में अस्पताल प्रबंधन ने कोई कदम नहीं बढ़ाया है।

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बीस हजार पेंशनर्स के लिए एक काउंटर, कतार में उलझा उपचार

बीस हजार पेंशनर्स के लिए एक काउंटर, कतार में उलझा उपचार

बृजमोहन आचार्य

बीकानेर. प्रदेश में कैशलैस दवा तथा इलाज के लिए राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) शुरू की गई है। इससे पेंशनर तथा कर्मचारी राहत से ज्यादा आहत हो रहे हैं।
इलाज कराने के लिए पीबीएम अस्पताल आ रहे पेंशनरों तथा कर्मचारियों का आधा दिन पर्ची बनाने में ही निकल जाता है। शेष समय चिकित्सकों को दिखाने के लिए लम्बी कतार में खड़े-खड़े बीत जाता है। ऐसे में इलाज के लिए आए मरीज परेशान हो रहे हैं। ऐसे में योजना की खामियों को दूर किए बिना पेंशनर्स और कार्मिकों की सहूलियत के लिए किया गया यह बदलाव फायदेमंद साबित होता नहीं दिख रहा।पेंशनर्स एवं कर्मचारियों का कहना है कि इससे तो पहले की योजनाएं ही ठीक थी।


कम से कम चिकित्सक को दिखाने का समय तो मिल जाता है। इस योजना का एक ही काउंटर होना लम्बी कतार लगने का सबसे बड़ा कारण है।


दवा भी पूरी नहीं मिलती
पर्ची में दवा भी संबंधित दवा की दुकानों पर पूरी नहीं मिलती। दवाई के लिए सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार की दुकान व अधिकृत निजी मेडिकल पर जाना होता है। कहीं भी पूरी दवाइयां उपलब्ध नहीं है।


एनएसी जारी नहीं करेंगे
अगर भंडार के मेडिकल स्टोर पर पर्याप्त दवा उपलब्ध नहीं है, तो कोई भी स्टोर कीपर मरीज को एनएसी जारी नहीं करेगा। स्टोर कीपर को दस हजार रुपए की दवा खरीद की छूट रहेगी।


कतार पर कतार से बढ़ी परेशानी
मरीज को पहले तो पर्ची बनाने के लिए कतार में खड़ा होना पड़ता है। यहां कार्ड की फोटो कॉपी जमा कराने के बाद ही पर्ची दी जाती है। पर्ची के साथ मरीज दिखाने के लिए चिकित्सक के पास जाता है। चिकित्सक के पास भीड़ होने पर लाइन में लगना पड़ता है। जब चिकित्सक पर्ची पर दवा या जांच आदि लिखता है। फिर जांच के काउंटर या दवा लेने वाले काउंटर पर लाइन में लगना पड़ता है।

एक ही काउंटर, वह भी आउटडोर से दूर

पीबीएम अस्पताल प्रशासन ने इस योजना के तहत एक ही काउंटर अभी तक खोला है। यह काउंटर भी जीरियाट्रिक क्लीनिक में है। यह क्लीनिक अस्पताल के सभी आउटडोर से अलग काफी दूरी पर है। यहां पर पहले से कोविड टीकाकरण का सेंटर चल रहा है। ऐसे में मरीजों को पहले तो इस क्लीनिक की तलाश करनी पड़ती है। पहुंचने पर लाइन में लगना पड़ता है।

२० विभाग हैं अस्पताल में
पीबीएम अस्पताल में विभिन्न बीमारियों के करीब बीस विभाग है। जहां पर प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों का आना-जाना रहता है। जिले में करीब ७० हजार कर्मचारी और पेंशनर्स है। एेसे में एक ही काउंडर पर रोजाना बड़ी संख्या में मरीज पंजीकरण कराते हैं।


०७ दिन तक पंजीयन पर्ची मान्य
मरीज को जारी होने वाली पर्ची सात दिन तक मान्य है। इसके बाद दूसरी पर्ची बनानी पड़ती है। ऐसे में मरीज को पुरानी पर्ची को संभाल कर भी रखना पड़ता है। हालांकि एक सप्ताह के भीतर दुबारा चिकित्सक से परामर्श लेने के लिए वही पर्ची काम आ जाती है।


अभी काउंटर खोलने की अनुमति नहीं
अस्पताल में इस योजना से जुड़ा एक ही काउंटर है। अन्य काउंटर खोलने की सरकार ने अनुमति नहीं दी है। अगर अनुमति मिलेगी तो नया काउंटर खोल देंगे। इसके लिए जगह और कर्मचारी चिन्हित किए हुए हैं।
- डॉ. परमिन्द्र सिरोही, अधीक्षक पीबीएम अस्पताल

धरातल पर कुछ नहीं
आरजीएचसी अभी तक धरातल पर कुछ भी नहीं है। जिले में बीस हजार पेंशनर है और बड़ी संख्या में राज्य कर्मचारी है। एक काउंटर नाकाफी है। अस्पताल प्रशासन को काउंटरों की संख्या बढ़ानी चाहिए।
-ओमप्रकाश जोशी, जिलाध्यक्ष पेंशनर समाज