
मध्यान्ह भोजन (फाइल फोटो- पत्रिका)
Mid-Day Meal Scheme New Update : राजस्थान में विद्यालयों में मिड-डे मील योजना के तहत बच्चों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अब नया नियम लागू किया है। अब किसी भी स्कूल में विद्यार्थियों को पोषाहार परोसने से पहले भोजन को एक अभिभावक और एक विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) सदस्य को अनिवार्य रूप से चखना होगा। दोनों की सहमति और संतोषजनक प्रतिक्रिया मिलने के बाद ही विद्यार्थियों को भोजन परोसा जा सकेगा। मिड-डे मील योजना का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों का पोषण स्तर बढ़ाना, सद्भाव और सामाजिक समानता बढ़ाना, नामांकन और ठहराव में वृद्धि, जाति, धर्म, लिंग आधारित भेदभाव को मिटाना है।
हर दिन अलग अभिभावक और एसएमसी सदस्य भोजन चखेंगे। इसके लिए पूर्वनिर्धारित रोस्टर तैयार किया जाएगा, ताकि एक ही व्यक्ति बार-बार जिम्मेदारी न निभाए। स्कूलों को एक रजिस्टर में प्रतिदिन का रिकॉर्ड रखना होगा, जिसमें यह दर्ज होगा कि किन दो व्यक्तियों ने भोजन चखा।
हर विद्यालय में इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक शिक्षक को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। उनकी जिम्मेदारी होगी कि समय पर भोजन की जांच हो। सही तरीके से अभिलेख तैयार हों। रोस्टर के अनुसार ही जिम्मेदारियां तय की जाएं। इस संबंध में मिड-डे मील योजना के आयुक्त विश्वमोहन शर्मा की ओर से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भेजे गए हैं। उन्हें यह सुनिश्चित करना है कि यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू की जाए।
Updated on:
09 Jul 2025 05:56 pm
Published on:
04 Jul 2025 08:19 am
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