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राजस्थान के पर्वतारोही राकेश बिश्नोई की मौत, माउंट ल्होत्से शिखर से लौटते समय गई जान

Mountaineer Rakesh Bishnoi Died: हिमालय में दुनिया के चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से पर चढ़ने के बाद एक भारतीय पर्वतारोही की मौत हो गई।

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Mountaineer Rakesh Bishnoi Died

पर्वतारोही राकेश बिश्नोई (फोटो- पत्रिका नेटवर्क)

Rakesh Bishnoi Died: बीकानेर: भारतीय पर्वतारोही राकेश बिश्नोई की दुनिया की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से (नेपाल) से उतरने के बाद मौत हो गई है। राजस्थान में बीकानेर जिले के रहने वाले राकेश बिश्नोई की ल्होत्से के शिखर से उतरते समय कैंप-4 के पास येलो बैंड में मौत हुई है। नेपाल के पर्वतारोहण गाइड के हवाले से बताया गया, बिश्नोई ने रविवार को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की अपनी कोशिश छोड़कर माउंट ल्होत्से पर चढ़ाई की थी।


बिश्नोई के अलावा रोमानियाई राष्ट्रीय टीवी के वीडियोग्राफर ज़ोल्ट वागो की भी रविवार को ल्होत्से पर चढ़ने का प्रयास करते समय मौत हो गई। इससे पहले इस महीने की शुरुआत में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास करते समय एक फिलिपिनो और एक भारतीय पर्वतारोही की भी जान चली गई थी।


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गौरतलब है कि बीकानेर के राकेश को दो अप्रैल को डूंगरपुर जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह ने रवाना किया था। बिश्नोई शुरुआत में विश्व की सबसे ऊंची एवरेस्ट चोटी पर चढ़ाई के लिए रवाना हुए थे। उनका डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा के कराड़ा में व्यवसाय है तथा वह पिछले कई साल से सागवाड़ा क्षेत्र में रह रहे थे। राकेश का लक्ष्य सातों महाद्वीपों की सातों सबसे ऊंची चोटियों पर तिरंगा लहराकर अपना सपना पूरा करना था।


40 से अधिक चोटियों पर चढ़ाई का रिकॉर्ड


साल 2023 में राकेश ने यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर बिना गाइड के चढ़ाई करने वाले पहले भारतीय होने का रिकॉर्ड बनाया था। इसके अलावा अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर दुनिया का सबसे लंबा 510 फीट का तिरंगा फहराने का अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज है।

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बताते चलें, इस साल जनवरी में माइनस 40 डिग्री तापमान में राकेश बिश्नोई ने पहले पर्वतारोही के रूप में लद्दाख में माउंट यूटी कांगड़ी (6070 मीटर) और माउंट अन्जोंग (5780 मीटर) का सफलता पूर्वक फतह किया था। राकेश माउंट सतोपंथ (7084 मीटर) पर भी चढ़ाई कर चुके थे। इसे स्वर्गारोहिणी पीक भी कहा जाता है। इसके अलावा कश्मीर की सबसे ऊंची चोटी माउंट कुन (7077 मीटर) पर बिना ऑक्सीजन के राकेश बिश्नोई सफलतापूर्वक तिरंगा फहरा चुके हैं।


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