
कॉलेज की साइंस लैब में भी एआई की एंट्री, विद्यार्थी वर्चुअल माध्यम से कर रहे प्रैक्टिकल
स्कूल-कॉलेज की प्रैक्टिकल कक्षाओं में भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल शुरू हो गया है। इसके चलते सरकारी कॉलेज की लैब भी हाईटेक हो रही है। यहां होने वाले रसायन विज्ञान के प्रयोग अब वर्चुअल माध्यम से हो रहे हैं। बीकानेर के राजकीय डूंगर महाविद्यालय में स्थित आधुनिक स्मार्ट साइंस लैब में विद्यार्थियों को वर्चुअल रियलिटी, आग्युमेंटेड रियलिटी, आकुलस रिफ्ट के जरिए प्रैक्टिकल करवाए जा रहे हैं। इस लैब में विद्यार्थियों के हाथों में कंट्रोलर, आंखों पर वीआर बॉक्स और महसूस करने के लिए सेंसर टॉवर लगाकर वर्चुअल रियलिटी प्रेक्टिकल करते हुए देखा जा सकता है। बड़े शहरों 7 डी थिएटर में दिखाई जाने वाली फिल्मों में एक कमी रहती है कि उनमें प्रतिभागी खुद काम नहीं कर सकता, केवल देख सकता है। उसी में एक कदम और बढ़ते हुए अविष्कार हुआ वर्चुअल रिएलिटी व आर्गुमेंटेड रियलिटी का, जिसमें विद्यार्थी देखने के साथ कार्य करने का अनुभव भी प्राप्त कर सकते हैं। लैब में प्रैक्टिकल के अलावा कई शोध कार्य भी हो रहे हैं।
यह है वर्चुअल लैब
वर्चुअल लैब में वास्तविक लैब जैसी लैब, उसके अंतर्गत आने वाले उपकरणों, रसायनों आदि को एल्गोरिथम एवं कोडिंग के आधार पर इस प्रकार बनाया जाता है कि व्यक्ति को वास्तविकता का आभास हो। जैसे यदि अनुमापन का प्रयोग करते हैं तो वास्तविक प्रयोगशाला में आप ब्यूरेट से द्रव को बीकर में गिराते हैं। पदार्थ को पीसते हैं व ड्रापर की सहायता से रंग परिवर्तन आदि की रीडिंग लेते हैं। कैमिकल का आप वास्तव में उपयोग करते हैं। लेकिन वर्चुअल प्रयोगशाला में आपको लगता है कि यह सभी कार्य आप वास्तव में कर रहे हैं लेकिन सब आभासी होता है।
तीन विधियों से किए जा रहे प्रयोग
-वर्चुअल रियलिटी
-आग्युमेंटेड रियलिटी
-आकुलस रिफ्ट
इन उपकरणों का होता है उपयोग
-आकुलस रिफ्ट
-मैजिक लीप
-मोबाइल वी.आर
-मोबाइल ए.आर
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एआई एवं एआर-वीआर बन रही शिक्षण एवं शोध की धुरी
डूंगर महाविद्यालय में स्थापित स्मार्ट साइंस लैब में आग्युमेंट रियलिटी एवं वर्चुअल रियलिटी पर बनाए गए प्रयोगों का उपयोग शोध एवं शिक्षण में हो रहा है। इनमें रसायन विज्ञान के 15, भौतिक विज्ञान के 9 एवं जंतु व वनस्पति विज्ञान के 6-6 प्रयोग शामिल हैंं। वहीं एआर का उपयोग करते हुए रसायन विज्ञान में 30 से अधिक नए प्रयोग शामिल किए गए हैं। शोधार्थी दिव्या कंवर शेखावत ने रसायनशाला के सरल 3डी मॉडल विकसित किए हैं। जिससे इसकी संरचना समझने में आसान हो गई है। एआई का प्रयोग कर मेडिसिन एवं फार्मा सेक्टर के लिए कार्य किया जा रहा है। शेखावत ने पहली बार आक्यूल्स रिफ्ट का उपयोग करते हुए हीमोग्लोबिन जैसे जटिल अणुओं का मॉलिक्यूल वीआर के माध्यम से प्रयोगशाला में विकसित किया है।
-डाॅ. नरेंद्र भोजक, प्रभारी, स्मार्ट साइंस लैब
Published on:
28 Feb 2024 05:20 pm
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