
सुरनाणा. रेतीले धोरों से निकाली मशरूम।
सिमटते ओरण और मरुस्थलीय पौधों का नष्ट होना भी बड़ा कारण, पौष्टिक तत्वों से होती है भरपूर
सुरनाणा. सिमटते ओरण क्षेत्र और लुप्त होती मरुस्थलीय वनस्पति के बीच बहुत कुछ हाथों से छूटता जा रहा है। इनमें देशी मशरूम (खुंभी) भी शामिल है, जो हर साल धीरे-धीरे कम होती जा रही है।
गौरतलब है कि राजस्थान के रेतीले इलाके में बारिश के साथ ही खेतों में फसलों के साथ व पड़त (बंजर) भूमि में खुंभी उगती रही है। फोग, बूई, खींप सहित विभिन्न पौधों की लकड़ियों के मिट्टी में दबकर सड़ने की प्रक्रिया के दौरान खुंभी का उगना माना जाता है। ऐसे में ओरण कम होने और खेतों की बुवाई ट्रैक्टरों से होने के कारण बहुत से मरुस्थलीय पौधे लुप्त होने के कगार पर है। देशी मशरूम स्वास्थ्य के लिहाज़ से फायदेमंद मानी जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बरसात के बाद स्वपोषित मशरूम उगनी शुरू हो जाती है। इसे खड़ी फसल के बीच या ओरण (गोचर) भूमि में देखा जा सकता है। बरसात के मौसम में प्राकृतिक रूप से अपने आप उगने वाली मशरूम किसानों के लिए बारिश आने का पूर्व शगुन भी माना जाता है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही लाभदायक माने जाने वाली मशरूम जिसकी बाजार में कीमत इन दिनों 600 से 1200 रुपए प्रति किलो तक पहुंच रही है। अलग-अलग क्षेत्र में खुंभी अलग-अलग नाम से जानी जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम प्लयुरोटस है। इसको बीकानेर सहित रेगिस्तानी इलाके में खुंभी के नाम से ही जाना जाता है। लूणकरणसर के ग्रामीण क्षेत्र के धोरों के बीच मवेशियों को चराते ग्वाले या खेत में काम करने वाले किसान इन दिनों मशरूम को एकत्र करते हुए नजर आते हैं। चिंता की बात यह है कि इस बार इसकी पैदावार ना के बराबर हुई है। दरअसल खुंभी सब्जी व दवा बनाने में खासा महत्व रखती है। जमीन फोड़कर निकलने वाली मशरूम में कई महत्वपूर्ण तत्व मौजूद होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं इसमें विटामिन डी की प्रचुरता रहती है। यह शरीर में हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में सहायक होती है। किसानों का मानना है कि जब यह मशरूम उगती है तो उसके 10 दिनों में बारिश आवश्यक हो जाती है।
इनका कहना है
सब्जी के रूप में इसे पसंद किया जाता है। इस बार खुंभी की कमी खल रही है। ओरण कम होने और खेतों की बुवाई ट्रैक्टरों से होने से बहुत से मरुस्थलीय पौधे लुप्त होने के कगार पर है। खुंभी भी इस फेहरिस्त का हिस्सा ना बन जाए।
राजूराम बिजारणियां, साहित्यकार, लूणकरनसर
खुंभी सब्जी के अलावा दवा बनाने में खासा महत्व रखती है। जमीन से निकलने वाली मशरूम में कई महत्वपूर्ण तत्व मौजूद होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इसमें विभिन्न विटामिन्स एवं पोषक तत्त्व रहते हैं।
डॉ. भंवरलाल ज्याणी, आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी, लूणकरनसर
मरुस्थलीय क्षेत्र के रेतीले धोरों में उगने वाली मशरूम सब्जी बनाने के साथ-साथ दवा के रूप में भी काम आती है और हड्डियों को मजबूत रखने में सहायक होती है।
-डॉ रामचंद्र जांगू, हड्डी रोग विशेषज्ञ, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, लूणकरनसर
Published on:
28 Aug 2024 01:04 am
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