आस्थावान लोगों ने पवित्र सरोवरों में तर्पण किया। शहर के धरणीधर मंदिर परिसर के तालाब में सुबह पांच बजे से ही तर्पण कर्म शुरू हुआ। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भागीदारी निभाई। पंडित गोपाल ओझा के सानिध्य में 15 दिवसीय तर्पण कर्म शुरू हुआ, यह छह अक्टूबर तक चलेगा। पहली पारी पांच बजे से शुरू हुई, इसके बाद छह, सात और आठ बजे तक तर्पण कर्म कराया गया। इसी तालाब परिसर में पंडित नवरतन व्यास के सान्निध्य में भी पितर तर्पण किया गया। पूरे श्राद्ध पखवाड़े में पवित्र सरोवरों में तर्पण कर्म के आयोजन होंगे। वहीं श्राद्ध पक्ष में घर-घर में मिठाई -नमकीन की अधिक मांग के कारण शहर में गली-मोहल्लों में अस्थायी मिठाई-नमकीन की दुकानों का संचालन शुरू हो गया है।
तर्पण और अन्न-वस्त्र दान का विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार श्राद्ध पक्ष अथवा पितृ पक्ष में भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक पितरों के निमित पिंडदान, ब्राह्मण भोजन, तर्पण और अन्न दान का विशेष महत्व बतलाया गया है। श्राद्ध पक्ष में श्रीमद्भागवत गीता, पितृ सूक्त का पाठ करने का महत्व बताया गया है। पितृ पक्ष में गया श्राद्ध का भी विशेष महत्व है।