-30 से 40 फीसदी तक रुझान बढ़ा
स्कूलों और कॉलेजों में ग्रीष्मकालीन छुटियां शुरू होने के साथ ही विद्यार्थी वर्ग इनका फायदा अपने कॅरियर को शेप देने के लिए करने लगा है। रोजगार देने वाले कई तरह के कोर्स कर रहे है। साथ ही रुझान सॉफ्ट स्किल की तरफ बढ़ा है। कम्प्यूटर से संबंधित कोर्स, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और लाइब्रेरी ज्वाइन कर अपने सामान्य ज्ञान को बढ़ाने के प्रति युवाओं में खासा उत्साह है।
सॉफ्ट स्किल की तरफ ध्यान देने का कारण भविष्य में प्लेसमेंट के दौरान रोजगार मिलने की संभावना बढ़ना भी है। कई तरह के सर्टिफिकेट कोर्स कराए जा रहे है। प्लेसमेंट के दौरान कंपनियां डिग्री के साथ-साथ अन्य कोर्स की अधिक मांग करती है। इसी वजह से विद्यार्थी डिग्री के साथ-साथ ही सॉफ्ट स्किल तथा अन्य कोर्स करने की तरफ भी ध्यान दे रहे है।
बायोडाटा कर रहे मजबूत
कॉलेज विद्यार्थी रमेश के अनुसार छुटियों का पूरा फायदा उठाने के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। यही वजह है की पर्सनेल्टी डेवलेपमेंट के साथ कम्यूटर कोर्स भी सीख रहे है। इसके दो फायदे है, पहला नया सीखने को मिलता है और सर्टिफिकेट मिलने से बायोडाटा मजबूत होता है।
कॅरियर काउंसलर से साध रहे संपर्क
विद्यार्थी और उनके परिजन करियर के प्रति अपना पूरा ध्यान दे रहे है। पढाई के साथ-साथ ही कॅरियर काउंसलर से संपर्क कर उनकी राय ले रहे है। करियर काउंसलर्स के अनुसार सबसे पहले विद्यार्थी दसवीं पास करने के साथ ही संपर्क कर लेता है। इसके बाद बारहवीं कक्षा पास करने बाद आगे क्या पढाई के लिए राय लेते है।
एक्सपर्ट व्यू
सॉफ्ट स्किल्स कौशल का एक समूह है, जो हमारे व्यवहार और व्यक्तित्व को बेहतर बनाता है। उसे विकसित करता है। यह चरित्र लक्षण और पारस्परिक कौशल हैं। जो एक व्यक्ति के अन्य लोगों के साथ संबंधों को चित्रित करते हैं। हालांकि एक सार्वभौमिक सॉफ्ट कौशल परिभाषा के साथ आना मुश्किल है। ज्यादा ऐसे कौशल पर सोच सकते हैं जो एक विशिष्ट नौकरी से बंधे नहीं हो। सॉफ्ट स्किल्स किसी व्यक्ति की सफलता और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कम्युनिकेशन स्किल्स, टीम वर्क, समय प्रबंधन, निर्णय शक्ति होना, संगठनात्मक योग्यता, तनाव प्रबंधन, रचनात्मकता तथा नेतृत्व की क्षमता जैसे कुछ विशिष्ट सॉफ्ट स्किल्स हैं। इनका व्यावसायिक जगत में अद्वितीय महत्व है। सॉफ्ट स्किल के जरिए आप लोगों में अपनी एक अलग पहचान बनाकर कॅरियर में सफल हो सकते है।
-डॉ. पंकज जैन, प्राचार्य, बीजेएस रामपुरिया जैन कॉलेज, बीकानेर