फॉरेंसिक में भी भेजने पर विचार
जेल में सिम लगा मोबाइल मिलने के बाद इस फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भी भेजने के बारे में भी जेल प्रशासन सोच रहा है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस मोबाइल का उपयोग हुआ है या नहीं। हुआ है, तो कहां और कितनी बार बात की गई है। साइबर सेल की मदद से उस कैदी का भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी, जिसके लिए यह मोबाइल जेल परिसर के भीतर पहुंचाया गया।सुरक्षा व्यवस्था में सेंध
बीकानेर जेल में चार स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था होने के बावजूद जेल में बड़ी आसानी से मोबाइल व आपत्तिजनक सामग्री पहुंच रही है। हर दो-तीन माह में जेल की बैरकों की जांच में मोबाइल फोन, सिम, चार्जर, मादक पदार्थ, हथियार व अन्य सामान बरामद होता है। ऐसा तब है, जेल में प्रवेश द्वार पर जेल सुरक्षाकर्मी जांच करते हैं। मुख्य द्वार पर आरएसी व जेल प्रशासन के अधिकारी व जवान जांच करते हैं। जेल में प्रवेश पर मेटल डिटेक्टर से जांच की जाती है। इसके बाद में जेल में से अंदर सामान आने और बाहर जाने वाले की जांच स्केनर मशीन से की जाती है।यह हैं चर्चित प्रकरण, जिनमें अंदेशा कि मोबाइल से हुआ बाहर की दुनिया से संपर्क
– वर्ष 2013 में बंदी पवन कुमार, मूलाराम और करनैल सिंह की बंदी मुस्लिम उर्फ रामसिंह ने ईंट से पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।ये प्रकरण आ चुके हैं सामने
– बीकानेर जेल से बंदी क्रिकेट सट्टा करने के साथ कइयों के साथ कर चुके ठगी। – नेताओं व जनप्रतिनिधियों से फिरौती की मांग। – हर दिन कोई बंदी सोशल मीडिया पर फोटो व लाइव स्टेटस डाल रहे।एक नजर में …
– साल – मोबाइल – लिप्त बंदी – 2017 – 3 – 3जांच में होते हैं कई खुलासे
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि जेलों में मिलने वाले मोबाइल की टेक्निकल जांच कराई जाती है। मोबाइल में कौन-कौन-सी सिम डाली जाती है और कहां-कहां किससे क्या बात हुई है। इस आधार पर कई वारदातों को रोका भी गया है। हाल ही में जेल में मिले मोबाइल की भी जांच कराई जा रही है।