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रेल पटरियों के एक-एक इंच पर ट्रैकमैन का पहरा

मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात पटरियों की सघन जांच -तेज सर्दी भी नहीं रोक सकी ट्रैक मैन के कदम पत्रिका ने परखी ट्रैक जांचने की प्रक्रिया

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रेल पटरियों के एक-एक इंच पर ट्रैकमैन का पहरा

रेल पटरियों के एक-एक इंच पर ट्रैकमैन का पहरा

रात के अंधेरे में तेज सर्दी के बावजूद भी एक हाथ में टॉर्च, तो दूसरे हाथ में लकड़ी का डंडा लिए रेलवे ट्रैक की निगरानी...। यह हैं रेलवे के ट्रैकमैन। वैसे तो पूरे साल भर ही रेलवे ट्रैक की निगरानी होती है, लेकिन सर्दियों में रेलवे की ओर से विशेष व्यवस्था की जाती है, ताकि पटरियों पर किसी भी तरह की दिक्क्त हो, तो उसका जल्द से जल्द समाधान किया जा सके। रेलवे की ओर से एक डिवाइस भी उपलब्ध करवा गई है, जो खास पेट्रोलिंग टीम के लिए ही मंगवाई गई है, ताकि लाइन की मरम्मत करने वाले ट्रैकमैन भयमुक्त होकर काम कर सकें। बीकानेर मंडल में 500 से अधिक कर्मचारियों को यह डिवाइस उपलब्ध करवाई गई है। इसके अलावा ट्रेनों के लिए लोको पायलटों को भी फॉग डिवाइस उपलब्ध करवाई गई है। इससे कोहरे के मौसम में भी स्थिति अनुसार ट्रेनों की गति 75 किमी प्रति घंटा तक की जा सकेगी। सोमवार को हुए रेल हादसे के बाद मंगलवार को देर रात पेट्रोलिंग व्यवस्था का रेल अफसरों ने निरीक्षण किया। इस दौरान डीसीएम जितेंद्र शर्मा, सुरेन्द्र कुमार सीनियर डीएसओ, अमन अग्रवाल एईएन कानासर स्टेशन पहुंचे और पूरी प्रक्रिया को खुद अपनी आंखों से देखा। राजस्थान पत्रिका की टीम ने भी परीक्षण की प्रक्रिया को उनके साथ ही चल कर परखा।


होता है पूरा किट

ट्रैकमैन के साथ पूरा किट होता है। साथ में रूट डायरी होती है, जिसमें कहां से शुरू करना है, उसकी जानकारी होती है। एक ट्रैकमैन को रात 11 बजे से सुबह 6 बजे तक चार किलोमीटर तक बीट पेट्रोलिंग करनी होती है। चार किमी के चार राउंड तक पेट्रोलिंग होती है। इसके अलावा किट में जीपीएस डिवाइस, ट्रैक अलर्ट टॉर्च, स्पैनर, नम्बर प्लेट, रिचार्जेबल टॉर्च, तीन रंग वाली टॉर्च, दो लाल और एक हरे रंग का झंडा, डेटोनेटर व एक डंडा होता है।

575 जीपीएस ट्रेकर डिवाइस उपलब्ध
बीकानेर मंडल पर पेट्रोलिंग टीम के लिए जीपीएस ट्रेकर डिवाइस उपलब्ध करवाए गए हैं। जानकारी के अनुसार 575 डिवाइस टीम को दिए गए हैं। इसमें चार बटन लगे हुए हैं, जिसमें पहले बटन से सेक्शन अभियंता इंचार्ज, वहीं दूसरा बटन दबाते ही कंट्रोल रूम में फोन, तीसरे बटन से सीनियर को सूचना तथा चौथे बटन को दबाते ही मैसेज चला जाता है। इसके अलावा इस डिवाइस के माध्यम से ट्रैकमैन की लोकेशन भी ट्रैक होती है।


दस किलोमीटर पहले बताता है सिग्नल की लोकेशन
जहां पर फॉग सेफ्टी डिवाइस लगी है, वह दस किमी पहले ही सिग्नल की लोकेशन बता देता है। साथ ही ऑडियो के माध्यम से पता चल जाता है। जिससे लोको पायलट अलर्ट मोड पर आ जाते हैं। उतर-पश्चिम रेलवे की ओर से सभी मंडलों को 877 फॉग डिवाइस उपलब्ध करवाए गए। इनमें बीकानेर मंडल को 302 फॉग सेफ्टी डिवाइस उपलब्ध करवाए गए हैं।


मशीन के माध्यम से जांच
ट्रैक अल्ट्रासाउंड मशीन के माध्यम से सर्दियों से पहले ट्रैक की टेस्टिंग का काम पूरा करना होता है। इस मशीन के माध्यम से जो जांच हो रही है, उसकी रिकॉर्डिंग भी कर सकते हैं। इस मशीन में खासियत है कि ट्रैक में कोई दिक्कत है, तो उसको स्क्रीन पर बता भी देता है। इस मशीन के माध्यम से एक दिन में करीब तीन किमी तक ट्रैक की जांच की जा सकती है। बीकानेर मंडल पर इस तरह की सात मशीन उपलब्ध हैं।


फैक्ट फाइल

बीकानेर मंडल
कुल स्टेशन- 132
किलोमीटर-1780
सीनियर सेक्शन इंजीनियर- 21
पेट्रोलिंग कर्मचारी- 575
जीपीएस ट्रेकर डिवाइस- 575