खाने-पीने के खाद्य सामान की गुणवत्ता की निगरानी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के नेतृत्व में खाद्य निरीक्षकों और ब्लॉक सीएमएचओ की टीम करती है। निरीक्षक खाद्य सामग्री विक्रेताओं के यहां से नमूने लेकर लैब में जांच के लिए भेजते हैं। जनवरी से अप्रेल तक लिए 248 खाद्य सैम्पल की जांच रिपोर्ट आ चुकी है।
सीएमएचओ बीएल मीणा के अनुसार 58 सैम्पल जांच में फेल हो गए। इनमें से 32 तो निम्न स्तर के खाद्य पदार्थ होना पाया गया। जबकि सात ऐसे खाद्य पदार्थ सामने आए, जो खाने के लिए असुरक्षित थे। शेष 19 नमूने मिस लेवल होने के कारण अमानक करार दिए गए। इनकी पैकिंग पर लिखे इंडेक्स और पैकिंग में मिली सामग्री में भिन्नता पाई गई।
इन खाद्य पदार्थों की जांच शहर में बेचे जा रहे देशी घी, वनस्पती घी, दूध, दही, पनीर, मावा, मिर्च-मसाले, क्रीम, मैदा और मिठाइयों के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए। सबसे ज्यादा मिलावट दूध और दूध से निर्मित खाद्य पदार्थ में पाई गई है। जबकि मसालों में भी बड़े पैमाने पर मिलावट होना पाया गया। कुछ खाद्य में ऐसे रसायनों की मिलावट भी मिली, जो खाने पर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
14 दिन में रिपोर्ट का प्रावधान खाद्य पदार्थ के नमूने लेकर जांच कराने में समय लगता है। जांच में यदि वह असुरक्षित श्रेणी का पाया जाता है, तो तब तक दुकानदार उसे लोगों को बेच चुका होता है। खाद्य पदार्थ के नमूने की जांच में 14 दिन का समय लगता है। ऐसे में खाद्य जांच अधिकारी को अधिकार होता है कि यदि प्रथम दृष्टया ही खाद्य पदार्थ पूरी तरह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक प्रतीत होता है, तो तुरंत उसे नष्ट करवा सकते हैं।
पूरी निगरानी का प्रयास खाद्य पदार्थों में मिलावट की शिकायत मिलने पर नमूने लेकर जांच के लिए भेजे जाते हैं। इस साल अमानक पाए गए 58 मामलों में संबंधित विक्रेता के खिलाफ एडीएम की कोर्ट में चालान पेश किया गया है। इनमें से चार दुकानदारों पर तो एक लाख 66 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अभी 30 मामलों की जांच चल रही है।
-बीएल मीणा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बीकानेर