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चांद निकलने तक खड़े रहकर किया व्रत, अघ्र्य देकर किया पारणा

ऊभ छठ - महिलाओं व बालिकाओं ने मनाया ऊभ छठ का पर्वमंदिरों में किए दर्शन, बड़े-बुजुर्गो से लिया आशीर्वाद

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चांद निकलने तक खड़े रहकर किया व्रत, अघ्र्य देकर किया पारणा

चांद निकलने तक खड़े रहकर किया व्रत, अघ्र्य देकर किया पारणा

बीकानेर. घर-परिवार की सुख -समृद्धि और खुशहाली की कामना को लेकर शुक्रवार को ऊभ छठ का पर्व मनाया गया। महिलाओं व बालिकाओं ने मंदिरों में दर्शन किए व चन्द्रमा को अघ्र्य व पूजन के बाद व्रत का पारणा किया। महिलाओं ने ऊभ छठ की कथा सुनी। व्रतधारी महिलाओं व बालिकाओं ने सूर्यास्त से चन्द्रोदय होने तक खड़े रहकर व्रत-संकल्प पूरा किया। घर-परिवार के बडे़-बुजुर्गो से आशीर्वाद प्राप्त किया।


ऊभ छठ पर व्रतधारी महिलाओं व बालिकाओं ने पारम्परिक वस्त्र-आभूषणों से शृंगारित होकर मंदिरों में देव प्रतिमाओं के दर्शन किए। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार ऊभ छठ का व्रतराज आदि धर्म ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। ऊभ छठ को चंदन षष्ठी, हलषष्ठी भी कहा जाता है। पंडित किराडू के अनुसार कई लोग शनिवार को भी ऊभ छठ का पर्व मनाएंगे।

नगर सेठ लक्ष्मीनाथ मंदिर में किए दर्शन

ऊभ छठ की परम्परा अनुसार व्रतधारी महिलाएं व बालिकाएं पारम्परिक वस्त्र-आभूषणों से शृंगारित होकर नगर सेठ लक्ष्मीनाथ मंदिर पहुंची। महिलाओं ने दर्शन कर सुखमय और मंगलमय जीवन की कामना की। ऊभ छठ पर हर साल लक्ष्मीनाथ मंदिर में मेेले सा माहौल रहता है व शाम से चन्द्रोदय तक मंदिर परिसर में पुरुषों का प्रवेश बंद रहता है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी का असर ऊभ छठ पर नजर आया। वहीं शहर के अन्य लक्ष्मीनाथ सहित विभिन्न मंदिरों में भी महिलाओं व बालिकाओं ने दर्शन किए।

घर-घर में पूजन, उल्लास का माहौल
ऊभ छठ पर घर-घर में पूजा-अर्चना और व्रत-उपासना हुई। व्रतधारी महिलाओं के सजने-संवरने और व्रत-पूजन के दौरान उल्लास का वातावरण रहा। परिवार की महिलाओं ने चन्द्रोदय के दौरान घरों की छतों पर सामूहिक रूप से चन्द्रमा के दर्शन कर अघ्र्य दिया। सामूहिक रूप से व्रत का पारणा किया।