
श्रीकोलायत. जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की अनदेखी के चलते उपखण्ड के कई गांवों में लोगों को वर्षाे से पेयजल संकट का दंश झेल रहे हैं। साथ ही महंगें दामों पर पेयजल परिवहन करने को विवश होना पड़ रहा है। वहीं गांवों में दर्जनों स्थानों पर अमृत तुल्य पेयजल क्षतिग्रस्त एवं टूटी लाइन होने के कारण व्यर्थ बह जाता है।
उधर, वर्ष 2005 में 25 लाख की लागत से बीठनोक गांव में बने उच्च जलाशय में कनेक्शन नहीं होने से अब नाकारा होता जा रहा है। विभागीय उदासीनता के कारण ग्राम पंचायत गुड़ा के लाखासर ग्राम में ग्रामीणों को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। गांव के पानी नमक अधिक है। यह गांव राणासर से नहरी पेयजल कार्य से जोड़ा गया था लेकिन ग्रामीणों द्वारा मुख्य लाइन से अवैध कनेक्शन लेने के कारण लाखासर के ग्रामीणों को गत चार वर्षाे से पेयजल परिवहन करना पड़ रहा है।
ग्राम पंचायत भोलासर के शीशा गांव मे पेयजल आपूर्ति के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है तो भोलासर बुधान में विभाग द्वारा संचालित नलकूप पर अनजान व्यक्ति द्वारा नलकूप का संचालन किया जा रहा है जो बड़े हादसे को न्योता दे रहा है। हदां ग्राम पंचायत नहर विभाग से जुडे होने को बाद भी पेयजल किल्लत रहती है। भेलू पंचायत के हनुमान नगर में एक माह से भी अधिक समय से पेयजल किल्लत बनी है।
भाणेका गांव पंचायत के जानासर, दादेरी जाल, कानसिंह पुरोहित की ढाणी, रतनों की ढाणी, पुणिया हरिसिंह की ढाणी सहित आधा दर्जन गांवों में एक वर्ष से पेयजल किल्लत बनी है। खारी पंचायत को नहरी पाइप लाइन डाले एक वर्ष होने के बाद अभी तक शुरू नहीं करने से ग्रामीणों को टैंकर से पानी खरीदना पड़ रहा है।
वहीं गजनेर के मोडिया, मानसर, ऊपरी ढाणी के ग्रामीणों को एक वर्ष से पेयजल किल्लत के कारण गजनेर तालाब तथा कोडमदेसर नहर से पानी लाकर पीने को विवश होना पड़ रहा है। दूसरी ओर कोटड़ी के मढ़ गांव, मण्डाल चारणान, दासौड़ी, झझू पंचायतों में सरकारी नलकूप लम्बे समय से बन्द है। क्षेत्र के कई गांवों व ढाणियों में एक से दो सप्ताह के बीच नहर से आपूर्ति होने से किल्लत बरकरार है।
Published on:
18 Jan 2018 10:53 am
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