
'काम छोटा-बड़ा नहीं होता, करने की ललक होनी चाहिए
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पचास रुपए से अपना बिजनेस शुरू करने वाले किशन जोशी का आज करोड़ों रुपए का कारोबारी टर्नओवर है। काम को कभी छोटा-बड़ा नहीं समझने वाले जोशी ने अपने रोजगार की शुरुआत जूनागढ़ बस स्टैंड पर चाय का ठेला लगाकर की थी। इसके इससे पहले वे किराने की दुकान भी कर चुके थे।
बाद कोलकात्ता में 150 रुपए महीना में नौकरी करने से लेकर दवाइयों की दुकान में काम करने वाले किशन जोशी आज विभिन्न दवा कम्पनियों के अधिकृत विक्रेता है। कहते हैं जिसके हौसले बुलंद हो उसको मार्ग दिखाने वाले भी मिल जाते हैं। जोशी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उनकी लगन और मेहनत को देख पीबीएम अस्पताल के पूर्व मेडिसिन प्रोफेसर के. कृष्ण कुमार ने उन्हें दसवीं उत्तीर्ण करने के लिए प्रेरित किया, जबकि वे पूर्व में दी गई परीक्षा में फेल हो गए थे।
दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 1983 में 25 हजार रुपए का ऋण दिलवाकर डॉ. के. कृष्ण कुमार ने जोशी को दवाइयों का होलसेल काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। फिर क्या था जोशी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्तमान में अस्पताल रोड सहित शहर के विभिन्न स्थानों पर अपना कारोबार करने वाले जोशी युवाओं को स्वयं का रोजगार करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जोशी एक बिजनेसमैन होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी अहम भूमिका अदा करने वाले व्यक्ति हैं।
कोरोना महामारी में जोशी ने अपने समाज के साथ-साथ दूसरे समाज के लोगों को भी मुफ्त दवाइयों से लेकर कोरोना मरीजों के उपचार में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था। वर्तमान में वे गुर्जर गौड़ ब्राह्मण हितकारिणी सभा के बतौर अध्यक्ष हैं। जोशी कहते हैं वर्तमान दौर में पढ़े-लिखे युवा भी बेरोजगारी का बहाना बनाकर अपना समय बर्बाद कर रहे हैं, जबकि भगवान ने प्रत्येक व्यक्ति को काबिल बनाया है। जोशी अपने मार्गदर्शकों के साथ-साथ अपने पिता गोपाल प्रसाद जोशी को भी अपना प्रेरक मानते हैं, जिन्होंने उन्हें हमेशा एकजुट होकर काम करने के लिए प्रेरित किया।
Published on:
27 Jul 2021 04:36 pm
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