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विश्व पर्यावरण दिवस

विश्व पर्यावरण दिवस पर जागरूकता का इससे बड़ा संदेश हो ही नहीं सकता। पेड़ पौधों, गाय गोचर, को बचाने का अनुष्ठान बीकानेर में वर्षों से चल रहा है। सुबह हो या शाम, आंधी हो या तूफान , सर्दी हो या गर्मी बीकानेर की ये महिलाएं बिना रुके पर्यावरण की संरक्षा करने में जुटी हुई है। बीकानेर की महिलाएं बरसों से पेड़ पौधों को सींच रही है। वे प्रतिदिन समूह में एकत्रित होकर सिर पर घड़ा रखकर पंक्तिबद्ध होकर गोचर भूमि में जाती है ।फोटो नौशाद अली।

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World Environment Day

पर्यावरण दिवस बीकानेर के उपनगरीय क्षेत्र गंगाशहर-भीनासर की गोचर भूमि में महिलाएं पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने सिर पर पानी का घड़ा लेकर निकल पड़ती है। बिना किसी शोर-शराबे के ये महिलाएं पीढिय़ों से गोचर भूमि में पशुओं के लिए बनी खेळियों और पक्षियों के लिए रखे पाळसियों में पानी डालने का उपक्रम हर वर्ष वैशाख महीने में शुरू होता है जो करीब तीन महीनों तक मानसून की बरसात शुरू नहीं होने तक जारी रहता है। फोटो नौशाद अली।

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पर्यावरण दिवस बीकानेर के उपनगरीय क्षेत्र गंगाशहर-भीनासर की गोचर भूमि में महिलाएं पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने सिर पर पानी का घड़ा लेकर निकल पड़ती है। बिना किसी शोर-शराबे के ये महिलाएं पीढिय़ों से गोचर भूमि में पशुओं के लिए बनी खेळियों और पक्षियों के लिए रखे पाळसियों में पानी डालने का उपक्रम हर वर्ष वैशाख महीने में शुरू होता है जो करीब तीन महीनों तक मानसून की बरसात शुरू नहीं होने तक जारी रहता है। फोटो नौशाद अली।

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पर्यावरण दिवस बीकानेर के उपनगरीय क्षेत्र गंगाशहर-भीनासर की गोचर भूमि में महिलाएं पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने सिर पर पानी का घड़ा लेकर निकल पड़ती है। बिना किसी शोर-शराबे के ये महिलाएं पीढिय़ों से गोचर भूमि में पशुओं के लिए बनी खेळियों और पक्षियों के लिए रखे पाळसियों में पानी डालने का उपक्रम हर वर्ष वैशाख महीने में शुरू होता है जो करीब तीन महीनों तक मानसून की बरसात शुरू नहीं होने तक जारी रहता है। फोटो नौशाद अली।

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पर्यावरण दिवस बीकानेर के उपनगरीय क्षेत्र गंगाशहर-भीनासर की गोचर भूमि में महिलाएं पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने सिर पर पानी का घड़ा लेकर निकल पड़ती है। बिना किसी शोर-शराबे के ये महिलाएं पीढिय़ों से गोचर भूमि में पशुओं के लिए बनी खेळियों और पक्षियों के लिए रखे पाळसियों में पानी डालने का उपक्रम हर वर्ष वैशाख महीने में शुरू होता है जो करीब तीन महीनों तक मानसून की बरसात शुरू नहीं होने तक जारी रहता है। फोटो नौशाद अली।