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शहर में 13 तालाब, 2 खत्म अब 11 गिन रहे अंतिम सांसें, हकीकत जान बैठ जाएगा दिल

तालाब खत्म हुए तो नहीं बचेगा जमीन में पानी...

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Taalab ki haalat

शहर में 13 तालाब, 2 खत्म अब 11 गिन रहे अंतिम सांसें, हकीकत जान बैठ जाएगा दिल

बिलासपुर दर्जन भर से अधिक तालाबों से घिरे शहर के दो तालाब गायब हो गए। एक तालाब में बस्ती बस गई तो दूसरे में मॉल खड़ा हो गया। शेष 11 तालाबों में से 3 तालाबों में शासन की सरोवर धरोहर योजना के तहत सौंदर्यीकरण के नाम पर 12 करोड़ रुपए बहा दिए गए। सरोहर धरोहर योजना का मुख्य उद्देश्य तालाबों का गहरीकरण कराकर लगातार गिर रहे जलस्तर को रिचार्ज करना था लेकिन योजना के मूल थीम को भूलकर निगम प्रशासन ने इसे सजाने संवारने में करोड़ों रुपए बहा दिए, लेकिन तालाब काम के नहीं हैं...

चिंगराजपारा तालाब
चिंगराजपारा में सीपत रोड से लगे रिकांडो बस्ती के आईएचएसडीपी योजना के शासकीय आवास के बगल में करीब 100 साल पुराना तालाब है, निगम प्रशासन ने यहां प्रधानमंत्री योजना का आवास बनवाने के लिए तालाब के करीब एक चौथाई हिस्से को पटवा दिया। सामान्य सभा में यह मुद्दा गरमाया रहा।

2 वर्ष से संवार रहे जतिया तालाब को
12 करोड़ खर्च होने के बाद भी रखरखाव के अभाव में तीन तालाबों के बर्बाद होने और जलस्तर में रिकॉर्ड तोड़ गिरावट आने के बाद भी निगम प्रशासन ने इससे कोई सबक नहीं लिया। यही वजह है कि पिछले डेढ- दो साल से जरहाभाठा केजतिया तालाब को सौंदर्यीकृत कराने के लिए करोड़ों रुपए बहाए जा रहे हैं।

मामा भांजा तालाब
शहर के मध्य टिकरपारा मामा भांजा तालाब भी खतम होने के कगार पर है। भांजा तालाब में तो पूरा मोहल्ला बस गया मामा तालाब है वह भी गंदगी और गाजर धास से अटा पड़ा है तालाब के चारों लोगों ने कब्जा कर लिया है।

खोनिया तालाब
चांटीडीह सब्जी मंडी - साइंस कॉलेज रोड के तालाब पर भी बिल्डरों की नजर है, तालाब का आधे हिस्से को पाटकर यहां अपार्टमेंट और मकान हैं।

चांदमारी तालाब
शहर के बाहर होने के कारण तालापारा के तालाब को पुलिस विभाग ने चांदमारी के लिए चुना था, यहां साल में एक बार पुलिस कर्मियों को हथियार चलाने चांदमारी का प्रशिक्षण दिया जाता था जिसके कारण इसका नाम चांदमारी तालाब पड़ा। इस तालाब में आसपास के 7 बस्तियों का निस्तार होता था।

करबला तालाब
इसका कुछ हिस्सा चारों तरफ बेजा कब्जा होने के बाद भी दलदल के रूप में दिखाई देता है। यहां ताजिया ठंडा होने के कारण बाद में इसका नाम करबला तालाब पड़ा। लोगों ने तालाब के अंदर के हिस्से को पाटकर मकान बनाना शुरू कर दिया।

भुतहा तालाब
मंगला रोड पर गंगानगर के पहले मोड पर 36 मॉल के पीछे भुतहा तालाब का कुछ हिस्सा अभी भी बचा हुआ है। तालाब के ज्यादातर हिस्से में बिल्डरों ने कब्जा कर बेच डाला या मकान बनाकर बेच दिया। तालाब से मंगला बस्ती से लेकर कुदुदंड व नेहरू नगर रहवासियों का निस्तार होता था जिसका अब कुछ हिस्सा ही बचा है।

जोरापारा तालाब
अरपापार सीपत रोड से लगे जोरापारा सरकंडा मे तालाब 3 करोड़26 लाख रुपए खर्च करके चारों तरफ रिटेलिंग वाल, रिटेलिग वॉल के ऊपर पाइप की रेलिंग और खंभे पर लाइट लगाकर प्रकाश की व्यवस्था, पाथवे और तालाब के बीचो-बीच रंगबिरंगी लाइट और फव्वारा लगाए गए थे, लेकिन लाइट और पाइप सब गायब हो गए।

डीपूपारा तालाब
तारबाहर डीपूपारा तालाब मे 4 करोड़ खर्च कर चारों तरफ पाथवे, एक किनारे में बच्चों के खेलने के लिए झूले, फिसलपट्टी, बीच तालाब तक आवागमन के लिए रैंप, रैंप में खंभे लगाकर लाइटिँग और हावड़ा ब्रिज का लुक देने के लिए मोटे तार का बंधान, जिससे ब्रिज से होकर लोग बीच तालाब में लगे फव्वारे तक जा सकें, लगाए गए। इसके अलावा घाट में आकर्षक मूर्तिया तथा महंगे टाईल्स लगाए गए थे। देखरेख का इंतजाम न होने के कारण असमाजिक तत्व यहां से टाइल्स और लाइट तक उखाडकऱ ले गए।

बंधवा तालाब
बंधवा तालाब को सौंदर्यीकृत करने के लिए 5 करोड़ खर्च कर यहां तालाब के चारों ओर पाथवे, रेलिंग, घाट, बीचो-बीच आईलैंड, आईलैंड के बीच में जाने के लिए दो पुल, लाइटिंग, आईलैंड में भगवान शिव और माता पार्वती की विशालकाय प्रतिमा स्थापित कर गुफा बनाया गया। यहां भी नौका विहार का दावा किया गया था। अब दोनों पुल जर्जर, फव्वारे और टाईल्स, लाइट सब गायब हैं।