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जांजगीर-चांपा के 89 बंधक मजदूर छूटकर पहुंचे बिलासपुर, बताई पीड़ा, देखें वीडियो

बिलासपुर स्टेशन पर श्रम विभाग ने खिलाया खाना

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बिलासपुर . जम्मू-कश्मीर में बंधक बनाए गए जांजगीर-चांपा के 89 मजूदरों को लेकर रायपुर श्रम विभाग की टीम सोमवार को बिलासपुर स्टेशन पहुंची। यहां स्टेशन पर खाना खा रहे मजदूरों ने बताया कि उन्हें ईंट-भ_ा मालिकों ने पिछले 30 साल से बंधक बना रखा था। इनमें ऐसे भी मजदूर थे जो 5 से 10 साल पहले कमाने खाने जम्मू गए और वहां बधंक बना लिए गए थे। सभी को दिल्ली की नेशनल कम्पाइंग कमिट्स फॉर ऐराडिकेशन ऑफ बांडेड लेबर के प्रयास से छुड़ाया गया। घर लौटे मजदूरों के चहरे में आजाद होने की खुशी झलक रही थी। गरीबी और बेरोजगारी सेजूझ रही बुधवारा बाई अपने रिस्तेदारों के साथ 25 साल पहले जम्मू कश्मीर कमाने खाने के उ²ेश्य से गई थी लेकिन उसे क्या पता कि उसकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा केवल गुलामी के बीच दम तोड़ देगा। बिलासपुर स्टेशन में बुधवारा बाई ने बताया कि उसके और उसके अन्य साथियों के साथ ईंट-भ_े वाले जानवरों से भी बद्तर सलूक करते थे। न तो उन्हें रुपए मिलते थे और न ही भर पेट भोजन। केवल जिंदा रहने जितना खाना चाहिए उतना ही मिलता था। रुपए की मांग पर सरदार मारपीट करते थे। पच्चीस साल बंधक बन कर गुजार दिया, अब आजादी मिली। घर जाने की खुशी उसके चेहरे में साफ दिख रही थी। उसके साथ पहुंचे एक अन्य वृद्ध ने बताया कि वह जब कमाने खाने जम्मू गया था तब से वह बंधक बन कर ही रह रहा था। केवल खाना खाने के लिए हजार रुपए मिलते थे।

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जितनी रोजी की बात कर उसे ले जाया गया था उतनी तो उसे कभी मिली ही नहीं। उसे तो यह भी याद नहीं कि वह कब से बधंक बनकर काम कर रहा था। मजदूरों ने बताया कि लगभग 89 लोग वहा काम कर रहे थे जिन्हें निर्मल साहब ने छुड़ाया है। अपनी टीम के साथ 1 जनवरी से वह दिल्ली में रह रहे थे। एनपीसीईबीएल संस्था ने उन्हें जम्मू कश्मीर के साम्भा और रियासी में चल रहे ईंट-भ_े से छुड़ाकर लाया है। जांजगीर जिले के चुरतेला गांव निवासी घुरवा राम ने बताया कि वह सात साल पहले कमाने खाने जम्मू कश्मीर गया था। वहा उसे बंधक बनाकर रखा गया था किसी तरह वह फोन पर दिल्ली की समाज सेवी संस्था के सम्पर्क में आया तो उन लोगों ने छुड़ाया और फिर छत्तीसगढ़ शासन से सम्पर्क करने पर उन्हें श्रम विभाग की टीम दिल्ली से बिलासपुर लाई है जहां से सभी को घर रवाना कर दिया गया।

जम्मू से कश्मीर और कश्मीर से जम्मू भेजा जा रहा था : छत्तीसगढ़ के 89 मजदूरों को जम्मू कश्मीर के साम्भा और रिहासी के ईंट-भ_े में बंधक बना कर रखा गया था। इन मजदूरों को समय-समय पर जम्मू से कश्मीर और कश्मीर से जम्मू भेज दिया जाता था। इसके चलते इनकी सही लोकेशन ट्रेेस नहीं हो पा रही थी। सीजन के अनुसार इन बंधकों की तस्करी की जा रही थी।

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एक मजदूर ऐसा जिसे छुड़ाया गया दो बार : जांजगीर चांपा जिले के बंधक मजदूरों में एक मजदूर प्रहलाद को एनपीसीईबीएल ने दो बार छुड़ाया है। प्रहलाद ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के पास उसके पुनर्वास के लिए योजना नहीं है। वहां न तो उसका घर है और न ही कोई जमीन। मजदूरी उसे मिलती नहीं थी, इसके चलते वह दुबारा जम्मू कश्मीर पहुंचा है। उसके एक बच्चे की भ_े में जलने से मौत भी हो गई है।

छत्तीसगढ़ के 40 मजदूर फंसे नेपाल में : एनपीसीईबीएल संस्था के संचालक निर्मल गोराना ने बताया कि उन्हें अब-तक अभियान चलाकर विभिन्न राज्यों से 4 हजार बंधक मजदूरों को छुड़ाया है। इनमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और मध्यप्रदेश शामिल है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की श्रम आयुक्त संगीता और सचिव संजय ओझा ने लिखित में आश्वासन दिया है कि इन मजदूरों का पुनर्वास करने का पूरा इंतजाम किया जाएगा। उन्होंने 40 मजदूरो के नेपाल में बंधक बनने की सूचना दी है।

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जो मजदूर दिल्ली से लाए गए हैं, उन्हें बंधक ही बना कर रखा गया था, यह नहीं कहा जा सकता। वे अपनी स्वेच्छा से काम कर रहे थे या जबरदस्ती यह कहा नहीं जा सकता। पलायन रोकने शासन की कई योजना चल रही है। स्टेशन पहुंचे मजदूरों को छुड़ाने का काम स्थानीय प्रशासन ही कर सकता है।
अनिता गुप्ता, सहायक श्रम आयुक्त

जांजगीर चांपा के 89 मजदूरों को जम्मू कश्मीर से छुड़ाया है। उनमें अधिकांश मजदूरों को 30,25,15 वर्षों से बंधक बनाकर रखा गया था। 1 जनवरी को सभी मजदूरों को दिल्ली लाया गया है और वहां से छत्तीसगढ़ भेजा गया है। सभी मजदूरों को छुडाने जम्मू कश्मीर सरकार ने कोई मदद नहीं की और न ही उन्हें मुक्ति प्रमाण पत्र दिया है। अगर एक माह के अंदर छुड़ाए गए मजदूरों को मुक्ति प्रमाण पत्र जम्मू कश्मीर सरकार नहीं देती है तो वह स्थानीय न्यायालय में जनहित याचिका लगाएंगे। साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत करने की बात कही है।
निर्मल गोराना, एनपीसीईबीएल संचालक