वायु गुणवत्ता जांच केन्द्र के नाम पर पर्यावरण विभाग के अधिकारी शहर की जनता के साथ छलावा कर रहा है। एक ओर शहर के वायु गुणवत्ता जांच के लिए एकमात्र जांच केन्द्र संजय तरण पुष्कर में लगाकर वहां की रिपोर्ट को पूरे शहर की एक्यूआई रिपोर्ट बताकर जानकारी मुख्यालय भेज रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इसकी जानकारी सार्वजनिक करने में अधिकारियों के हाथ पैर फूल रहे हैं। यहां लगाया गया स्क्रीन भी कई दिनों से बंद है। शनिवार को शहर के कुछ लोग वायु गुणवत्ता जांच केन्द्र पहुंचे, जहां दरवाजा बंद था। वहां मौजूद कर्मचारी से पूछने पर पता चला कि शहर में एकमात्र वायु गुणवत्ता जांच केन्द्र यही है। दूसरा जांच केन्द्र शहर में नहीं है। यहां से प्रतिदिन रिपोर्ट पर्यावरण विभाग को भेजी जाती है। रिपोर्ट स्क्रीन पर हर 15 मिनट में अपडेट की जाती है, लेकिन स्क्रीन में खराबी के कारण वह बंद है। लोगों ने शहर की दूसरी जगह जांच केन्द्र स्थापित नहीं किए जाने का सवाल किया तो कर्मचारी ने इसकी जानकारी पर्यावरण विभाग से लेने की बात कही।
बता रहा संतोष जनक, इधर शहर रहा धूल से सराबोर
वायु गुणवत्ता जांच केन्द्र से जारी हुई रिपोर्ट में शहर का एक्यूआई 76 बताया गया, जबकि दोपहर में शहर में चली आंधी के कारण अरपा उत्थान तटसंवर्धन योजना के तहत बनाई जा रही सड़क पर डाला गया स्टोन डस्ट उड़कर पूरे शहर भर के वातावरण में फैलता रहा। नदी से उड़ती हुई धूल के कारण सड़क पर आने वाले वाहन तक दिखाई नहीं दिए। दो पहियों में सवार राहगीरों की आंखों में धूल भरने के कारण वे सड़क किनारे खड़े हो गए। करीब आधे घंटे बाद हवा की गति और धूल उडऩी बंद हुई तब लोग सड़क से गुजरे। नियम के तहत शहर में जिस तरह धूल उड़ रही थी उस समय एक्यूआई रिपोर्ट 300 से कम नहीं था।
नियमानुसार सार्वजनिक होनी चाहिए रिपोर्ट
नियम के तहत शहर के वायु गुणवत्ता की पल-पल की जानकारी पर्यावरण विभाग को लोगों को देने के लिए सार्वजिनक करना है, लेकिन पिछले कई वर्षों से पर्यावरण विभाग इसकी जानकारी लगातार छिपाते आ रहा है।
आगजनी के कारण बंद रहा 3 वर्ष तक केन्द्र
संजय तरण पुष्कर में एनटीपीसी के सहयोग से वर्ष 2015 में जांच केन्द्र स्थापित किया गया था। इसके बाद वर्ष 2017 में आगजनी के कारण केन्द्र के उपकरण जल गए थे। इसके बाद करीब 3 वर्ष तक केन्द्र बंद रहा। वर्ष 2021 में सुधार कर इसे फिर से शुरू किया गया था।