
आरक्षण रोस्टर उल्लंघन पर PHE भर्ती अटकी, हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी...(photo-patrika)
Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में पीड़ित महिला और उसके मासूम बच्चों को न्याय दिलाते हुए मोटर व्हीकल दुर्घटना के मुआवजे की राशि बढ़ा दी है। वर्ष 2015 में सड़क हादसे में पति की मौत के बाद महिला और उनके तीन छोटे बच्चों को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
न्यायालय ने बीमा कंपनी को 11 लाख 25 हजार 750 रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है, जो पहले की तुलना में लगभग दोगुना है। बिहार के गया जिले की रहने वाली रीता देवी के पति कमलेश यादव ट्रक चालक थे। 22 अगस्त 2015 को वे अपने ट्रक (सीजी 04 जे 0122) से असम की ओर जा रहे थे। रास्ते में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के धर्मजयगढ़ के पास उनके ट्रक की सीधी टक्कर सामने से आ रही एक बस (सीजी 14 जी 0786) से हो गई।
इस गंभीर हादसे में कमलेश यादव को गहरी चोटें आईं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनकी पत्नी रीता देवी ने अपने बच्चों के साथ मिलकर 1.46 करोड़ रुपए मुआवजे की मांग करते हुए ट्रिब्यूनल में दावा किया था।
बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि मृतक की आय 50,000 रुपए प्रतिमाह नहीं थी और चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था। परंतु न्यायालय ने सबूतों और चार्जशीट के आधार पर माना कि ट्रक चालक की आंशिक लापरवाही थी, लेकिन बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन नहीं हुआ था। कोर्ट ने बीमा कंपनी को 60 दिनों के भीतर 4,58,500 की अतिरिक्त राशि 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया। यह ब्याज क्लेम दायर करने की तिथि से लागू होगा।
ट्रिब्यूनल ने वर्ष 2019 में केवल 6.67 लाख का मुआवजा तय किया। असंतुष्ट होकर परिवार ने हाईकोर्ट में अपील की।जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि, मृतक की उम्र 40 वर्ष मानकर 40 प्रतिशत भविष्य की संभावनाओं को जोड़ा जाना चाहिए था, जो ट्रिब्यूनल ने नहीं किया। मृतक की मासिक आय 9,500 रुपए प्रति माह मानकर कुल वार्षिक आय 1,14,000 आंकी गई थी। कोर्ट ने आंकलन कर 11 लाख 25 हजार 750 रुपए मुआवजा तय किया।
Published on:
28 Apr 2025 02:40 pm
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