
Bilaspur High Court: दुष्कर्म पीड़ित गर्भवती नाबालिग के अबॉर्शन की अनुमति हाईकोर्ट ने नहीं दी है। ऑपरेशन में उसकी जान को गंभीर खतरा देखते हुए हाईकोर्ट ने इस संबन्ध में दायर याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि यदि नाबालिग और उसके माता-पिता प्रसव के बाद बच्चे को गोद देना चाहें तो राज्य सरकार इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए कानून के लागू प्रावधानों के अनुसार सभी आवश्यक कदम उठाए।
गत सप्ताह हुई सुनवाई में कोर्ट ने बलौदा बाजार जिले के मेडिकल बोर्ड को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। बोर्ड ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की बेंच ने सुनवाई के बाद माना कि पीड़िता की जांच रिपोर्ट के अवलोकन से पता चलता है कि भ्रूण ठीक है और उसमें कोई गंभीर स्पष्ट विसंगति नहीं है। लेकिन पीड़िता का अबॉर्शन हुआ तो उसके जीवन पर लिए उच्च जोखिम है। इसलिए गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
मेडिकल बोर्ड की प्रमुख डॉ. ज्योति जायसवाल की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कहा कि अभी याचिकाकर्ता 28 सप्ताह और 3 दिन की गर्भवती है। भ्रूण जीवित रहने योग्य है तथा यह राय दी गई है कि यदि उसे गर्भपात की अनुमति दी जाती है तो याचिकाकर्ता को बहुत अधिक जोखिम है। मेडिकल बोर्ड टीम द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को देखते हुए कोर्ट ने अबॉर्शन की अनुमति के लिए दायर याचिका को अस्वीकार कर खारिज कर दिया। पीड़िता के बच्चे को जन्म देने के लिए राज्य सरकार को सभी आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश कोर्ट ने दिए।
Published on:
28 Sept 2024 03:34 pm
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