
Bilaspur High Court: सात वर्षीय बच्ची के यौन उत्पीड़न के मामले में हाईकोर्ट ने दोषी को उसकी स्वाभाविक मृत्यु तक जेल में रखने (आजीवन कारावास) की सजा दी है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने दोषी की आपराधिक अपील खारिज करते हुए कहा कि यदि पीड़िता की गवाही विश्वसनीय हो, तो यौन अपराध के मामले में मात्र उसी के आधार पर दोषसिद्धि की जा सकती है।
यह सिद्धांत भारतीय दंड संहिता और ‘पॉक्सो’ अधिनियम दोनों के अंतर्गत लागू होता है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (पॉक्सो), कोरबा ने अक्टूबर 2023 को सजा सुनाई थी। (Uncle sexually assaulted girl) सजा के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की। कोर्ट ने आरोपी की अपील को खारिज करते हुए सजा को यथावत रखा। घटना 3 अप्रैल 2022 की है।
पीड़ित बच्ची की मां ने कोतवाली थाने कोरबा में लिखित शिकायत की। शिकायत में बताया कि 16 मार्च 2022 को उसकी छोटी बेटी शाम 6 बजे घर से सामान लेने दुकान गई थी। 7 बजे वह वापस आई और शाम करीब साढ़े सात बजे उल्टी करने के बाद रोने लगी।
पूछताछ करने पर उसने बताया कि ‘पप्पू मामा’ जबरन उसे एक कमरे में ले गया और गलत हरकतें की। बता दें कि पीड़िता ने रोते हुए अपने परिजन को बताया कि आरोपी ने उसे धमकी दी है कि वह पुलिस को कुछ न बताए। बच्ची और शिकायतकर्ता उसकी मां को यह नहीं पता था कि आरोपी कौन है। पीड़िता ने ‘पप्पू मामा’ कहा।
Bilaspur High Court: आरोपी ने अपील में कहा कि ट्रायल कोर्ट साक्ष्य का उचित मूल्यांकन करने में विफल रहा है। अभियोजन पक्ष द्वारा की गई जांच में अपीलकर्ता को गलत तरीके से दोषी ठहराया गया है। (Uncle sexually assaulted girl) पीड़िता के बयान संदेह से भरे हैं। पीड़ित की आयु की पुष्टि नहीं हुई है और न ही उसके लिए अस्थिकरण परीक्षण हुआ है।
Updated on:
09 May 2025 08:15 am
Published on:
09 May 2025 08:13 am
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