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Bilaspur High Court: विधवा को ससुर से भी भरण-पोषण का हक, हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनाया फैसला

High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक पारिवारिक मामले की सुनवाई में ससुर की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें वह अपनी विधवा बहू और 9 साल की पोती के लिए फेमिली कोर्ट द्वारा निर्धारित भरण-पोषण के आदेश का विरोध किया था।

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Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा विधवा बहू और 9 साल की पोती के लिए निर्धारित भरण पोषण राशि देने के निर्देश ससुर को दिए हैं।डिवीजन बेंच ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के तहत एक विधवा बहू धारा 19 के तहत अपने ससुर से भरण-पोषण पाने की हकदार है।

ससुर ने फैमिली कोर्ट के आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने पाया कि 40 हजार रुपए पेंशन पाने के साथ ही कृषि भूमि और बड़े मकान का मालिक ससुर गुजारा भत्ता देने में समर्थ हैं।

बंग्लापारा, तुमगांव जिला रायपुर निवासी जनकराम साहू के बेटे अमित साहू की मृत्यु वर्ष 2022 में हो गई थी। इसके बाद उसकी पत्नी मनीषा साहू, 29 वर्ष, और पुत्री टोकेश्वरी साहू उम्र लगभग 9 वर्ष के सामने जीवन चलाने का संकट हो गया। मनीषा ने पारिवारिक न्यायालय, महासमुंद में सिविल प्रकरण प्रस्तुत कर स्वयं और अपनी बेटी के लिए जीवन निर्वाह भत्ता दिलाने की मांग अपने ससुर से की। प्रकरण को स्वीकार कर फैमिली कोर्ट ने बहू को 1,500 रुपए प्रति माह और पोती को 500 रुपए प्रति माह देने का आदेश ससुर को दिया। इसके खिलाफ जनकराम ने हाईकोर्ट में अपील की।

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राशि इतनी ज्यादा नहीं कि दी न जा सके

हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने भरण-पोषण की बहुत अधिक राशि तय नहीं की है। इसलिए, हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 18 के प्रावधानों (Bilaspur High Court) के तहत फैमिली कोर्ट का आदेश न्यायसंगत और उचित है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ससुर की अपील अस्वीकृत कर दी।

पति की मौत के बाद पत्नी-बच्ची हुई बेसहारा

जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय जायसवाल की डीबी में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट में यह तथ्य साफ हुआ कि, प्रतिवादी नंबर 1 और 2 स्वर्गीय अमित साहू की पत्नी और बच्चे हैं जो अपीलकर्ता का बेटा है। सेवानिवृत्त होने के बाद 40 हजार रुपए प्रतिमाह उन्हें पेंशन मिलती है। तुमगांव स्थित बड़े मकान से भी किराये के रूप में प्रति माह 10,000 रुपये मिलते हैं।

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