
Bilaspur Namaz Controversy: बिलासपुर गुरुघासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी (जीजीयू) के एनएसएस कैंप में 155 हिंदू छात्रों से कथित तौर पर जबरन नमाज़ पढ़वाने के मामले में विवाद गहराता जा रहा है। यूनिवर्सिटी प्रबंधन द्वारा 16 अप्रैल को इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित की गई थी, जिसे 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन 72 घंटे बीत जाने के बाद भी कमेटी ने अब तक रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
इस देरी को लेकर छात्रों में नाराज़गी है और उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर मामले को दबाने का आरोप लगाया है। छात्रों का आरोप है कि जांच समिति में शामिल तीन सीनियर प्राध्यापकों ने 117 छात्रों को एक कमरे में बिठाकर पूछताछ की। इस दौरान छात्रों को एक प्रश्न पत्र बांटा गया, जिसमें हां या ना में जवाब मांगा गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डर और दबाव के कारण कई छात्र खुलकर अपने जवाब नहीं दे सके। एनएसएस कैंप में कुल 159 छात्र थे। इसमें केवल 4 मुस्लिम छात्र थे। डर के कारण 155 में से केवल 117 ही बयान देने पहुंचे।
यूनिवर्सिटी में एनएसएस कैंप के दौरान हिंदू छात्रों पर कथित रूप से नमाज़ पढ़वाने के दबाव को लेकर छात्रों में आक्रोश है। मामले में पहले ही एबीवीपी और विभिन्न हिन्दू संगठनों के छात्रों ने प्रशासनिक भवन और कुलसचिव कार्यालय के अंदर हनुमान चालीसा का पाठ कर विरोध जताया था। प्रदर्शनकारियों ने एनएसएस कोऑर्डिनेटर और प्रोग्रामर पर धार्मिक दबाव डालने का आरोप लगाया है। छात्रों की मांग है कि निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर सत कार्रवाई की जाए।
इधर, कांग्रेस का आरोप है कि जीजीयू और एबीयू में जो कुछ चल रहा है, इसके पीछे आरएसएस का ही इशारा है। शिक्षण संस्थान जैसे पवित्र स्थल को आरएसएस के कुलपति ना केवल दूषित किया है, बल्कि राजनीति का अड्डा बना दिया है। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने राष्ट्रपति और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए भाजपा कार्यालय का घेराव करने का ऐलान किया है।
केशरवानी का आरोप है कि शहर की दोनों यूनिवर्सिटी आरएसएस के सिद्धांतों पर चल रही है । यहां इस तरह राष्ट्रीय व्यायान और कार्यशाला आयोजित किए जाते है जिसका विषय ही राजनीति से प्रेरित होता है । ऐसे आयोजनों में करोड़ो खर्च किया जाता है और व्यायान को संबोधित करने संघ से जुड़े लोगों को आमंत्रित किया जाता है, जिससे छात्र छात्राओं का कोई हित नहीं होता है । उन्होंने दोनों कुलपतियों को हटाने की मांग की है।
छात्रों से कथित तौर पर जबरन नमाज़ पढ़वाने के मामले में अभी किसी भी अधिकारी-कर्मचारी पर यूनिवर्सिटी प्रबंधन की ओर से निलंबन जैसी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अब तक रिपोर्ट नहीं सौंपी है। सभवत:सोमवार को रिपोर्ट दी जाए। - एमएन त्रिपाठी, मीडिया प्रभारी सेंट्रल यूनिवर्सिटी।
Updated on:
20 Apr 2025 10:48 am
Published on:
20 Apr 2025 10:47 am
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