
Bilaspur News: प्रदेश में साइबर क्राइम निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। बड़ी संख्या में आम लोग इसके शिकार हो रहे हैं। इस मामले में समाचार माध्यमों में खबर प्रकाशित होने के बाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। इसके बाद चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच ने जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है।
कोर्ट ने साइबर थानों में स्टाफ की कमी दूर करने के लिए डीजीपी से शपथपत्र के साथ जवाब देने के निर्देश दिए हैं। मामले में गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश में सिर्फ 3 साइबर इंसपेक्टर हैं। कोर्ट ने कहा कि इतने कम स्टाफ में मामलों की जांच और कार्रवाई कैसे हो रही है। साइबर क्राइम के कितने प्रकरण लंबित हैं। याचिका में यह बात सामने आई है कि साइबर क्राइम के मामलों को सुलझाने के लिए पुलिस जवानों को ट्रेनिंग नहीं दी जा रही है। साइबर सेल के तकनीकी स्टाफ थानों के स्टाफ को ट्रेनिंग दे सकते हैं, जिससे साइबर क्राइम से जुड़े बहुत से काम थाना स्तर पर ही सुलझाया जा सकता है।
बता दें कि प्रदेश में रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर रेंज एक-एक साइबर थाने हैं। यहां इनके पास भी आवश्यक सामग्री नहीं है। इसके अलावा विशेषज्ञों की कमी भी है। जिसकी वजह से इस तरह की वारदात होने पर आम आदमी को तत्काल कोई राहत नहीं मिल पाती है। हाईकोर्ट ने माना है कि साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस हिसाब से थानों में सुविधाओं की भारी कमी है। टेक्नीकल स्टाफ भी कम है, जिससे साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायतों का जल्द निराकरण नहीं हो पा रहा है। कई बार तो एफआईआर करने में भी कई दिन लग जाते हैं। इससे आरोपियों तक पहुंचना मुश्किल होता है। साइबर क्राइम में सबसे ज्यादा मामले ऑनलाइन ठगी के हैं। इसमें 100 से अधिक प्रकरण हर महीने दर्ज हो रहे हैं।
बता दें कि ज्यादातर शिकायतें 10 से 20 हजार रुपए की ठगी की होती हैं। इन पर पुलिस ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती है। अधिक राशि की ठगी वाले मामलों में पुलिस तत्काल एक्शन लेती है। ऑनलाइन ठगी के अलावा अपराधी की बड़ी घटनाओं में इसी टीम से काम लिया जाता है। इसके अलावा अपराधियों को पकडऩे के लिए तकनीकी जांच भी इन्हीं के जिम्मे होती है। इस कारण साइबर क्राइम के मामलों का निपटारा काफी धीमी गति से होता है।
हर साइबर थाने में एक तकनीकी स्टाफ की आवश्यकता है, ताकि वह थाना स्तर पर ही कॉल डिटेल, कॉल डंप, लोकेशन आदि की जांच खुद कर सके। इसके लिए उसे साइबर सेल में निर्भरता की जरूरत न पड़े। वर्तमान में साइबर सेल के पास ऑनलाइन ठगी व अन्य साइबर क्राइम के मामले तो रहते ही हैं, थानों के भी बहुत से काम उन्हीं के पास आते हैं। इस कारण मामले को सुलझाने में देर होती है।
यह 2019 से जून 2024 तक छत्तीसगढ़ में साइबर अपराध के मामलों की संख्या दर्शाने वाला चार्ट दिया गया है।
Updated on:
05 Jul 2024 02:36 pm
Published on:
05 Jul 2024 10:34 am
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