
CG Tourism: प्रकृति प्रेमियों के जिए जशपुर वनांचल क्षेत्र किसी स्वर्ग से कम नहीं है। जशपुर जिले की बायोडायवर्सिटी अनोखी है। विशेषज्ञ बताते हैं कि, जशपुर का ऊपरी भाग, जिसे उपरघाट के नाम से पुकारते हैं, यहां मौसम हिमालय के जलवायु जैसी हैं। जहां अनेक प्रकार के मेडिसिन प्लांट हैं, जो सिर्फ हिमालय क्षेत्र में पए जाते हैं। वाइल्ड लाइफ जशपुर के सौरभ सिंह के मुताबिक यहां 170 प्रकार की तितलियां पाई जाती हैं।
यहां के प्राकृतिक नदी-नाले, पर्वत श्रृंखलाएं, यहां के प्राकृतिक झरने-जलप्रपात लाजवाब हैं। जशपुर की दूरी रांची से 145 किलोमीटर और ओडिशा के झारसुगड़ा से 155 किमी की दूरी पर है। अंबिकापुर से होकर जशपुर की दूरी लगभग 160 किमी है। यहां से सड़क मार्ग से होकर पहुंचा जा सकता है। जशपुर में पर्यटन विभाग का सरना रिसोर्ट है, जहां रुकने, रहने खाने की अच्छी व्यवस्था है।
कोरबा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर सतरेंगा पिकनिक स्पॉट छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा के नाम से जाना जाता है। यह पहाड़ों और प्राकृतिक सौंदर्यता लोगों को खूब आकर्षित करती है। यह स्पॉट हसदेव बांगो बांध के डूबान में बना हुआ है। यहां का पानी शैलानियों को समुद्र का अहसास कराता है। जिला प्रशासन की ओर से सतरेंगा का विकसित करने के लिए कई कार्ययोजना बनाई गई हैं। नए साल में पिकनिक मनाने और घूमने के लिए लोगों के लिए पहली पसंद होती है। नए साल के पहले ही यहां बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने पहुंच रहे हैं।
बुका: बांगो बाधा के एक छोर पर गोल्डन आइसलैंड बुका बना हुआ है। यहां पर्यटक प्रकृति सौंदर्यता के साथ ही वोटिंग और घुड़सवारी करने पहुंचते हैं। यहां सूर्योंदय और सूर्यास्त का नजारा देखते ही बनता है। यह जिला मुख्यालय से लगभग 70 किमी दूर है। नए साल में यहां ज्यादातर लोग पिकनिक मनाने आते हैं।
देवपहरी: देवपहरी जल प्रपात प्रकृति की हरी भरी वादियों के बीच उजली चमकती पथरीली चट्टानें देखने वालों को अपनी ओर खींच लेती हैं। पानी की धार से चट्टानों में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक चमक रहती है। गोविंद झूझा जलप्रपात भी मनमोहक है।
जशपुर से गम्हरिया बालाछापर होकर सरना रिसोर्ट होकर इचकेला, आरा मार्ग पर बोकी गांव से होते हुए जशपुर से मात्र 18 किलोमीटर की दूरी पर है रानीदाह जलप्रपात। बेहद खूबसूरत और प्राकृतिक। मान्यता है कि, यहां रियासतकाल में किसी रानी ने यहीं से कूदकर आत्महत्या की थी। इसी कारण से इसे रानीदाह के नाम से जाना जाता है। यह इस क्षेत्र का प्रमुख दर्शनीय पिकनिक स्पॉट है।
मधेश्वर पहाड़ी के ऊपर स्थित देशदेखा की पहाड़ी से सूर्यास्त का नजारा और नीचघाट के दुलदुला और कुनकुरी क्षेत्र का विहंगम दृश्य रोमांचक और अनूठा है। देशदेखा जशपुर जिला मुख्यालय से मात्र 18 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है, और जशपुर से सारूडीह, किनकेल घाटी होकर पहुंचने का पक्का मार्ग है।
जशपुर के मधेश्वर पहाड़ को विश्व के सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग की प्रतिकृति के रूप में मान्यता मिली है। इसे ऐतिहासिक उपलब्धि को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिला है।
दनगरी जल प्रपात जशपुर से 120 किलोमीटर की दूरी पर तथा बगीचा ब्लॉक मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां सन्ना से पंडरापाठ होकर सुलेषा या बगीचा से सुलेषा होकर पहुंचा जा सकता है। यहां बेहद उंचाई से गिरने प्राकृतिक झरने का आनंद लेना अलौकिक लगता है।
Published on:
30 Dec 2024 07:17 pm
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