नए संवत्सर के राजा मंगल और मंत्री होंगे शनिदेव मान्यता है कि घोड़े पर सवार होकर आने से प्राकृतिक आपदा की आशंका प्रबल होती है। साथ ही सत्ता पक्ष में भी बदलाव देखने को मिलता है। इसी प्रकार नवरात्र का समापन 17 अप्रैल दिन बुधवार को होने से माता के प्रस्थान की सवारी गज (हाथी) होगी। माता का हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करना शुभ संकेत होता है। यह अच्छी बारिश, खुशहाली और तरक्की का संकेत देता है। दूसरी ओर काल नाम के नए संवत्सर 2081 के राजा मंगल और मंत्री शनिदेव होने से यह वर्ष बहुत ही उथल-पुथल वाला रहेगा।
शुभ परिणाम के लिए ऐसे करें पूजा ज्योतिषाचार्य पं जागेश्वर अवस्थी के अनुसार घोड़े पर माता का आगमन शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में इस नवरात्रि में माता की पूजा क्षमा प्रार्थना के साथ करें। पूरे दिन विधिवत पूजा करने के बाद क्षमा प्रार्थना करने से माता प्रसन्न होंगी और शुभ फल देंगी। नवरात्रि के नौ दिन बहुत ही पावन माने जाते हैं। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है जिससे सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं।
13 अप्रैल के बाद शुभ नवरात्रि पर खरमास का साया रहेगा। इस बार नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो रहा है। दरअसल 9 अप्रैल को भी खरमास रहेगा और सूर्य के राशि परिवर्तन के बाद 13 अप्रैल तक खरमास रहेगा। 14 अप्रैल सेे शुभ पक्ष आएगा। खरमास में पूजा-पाठ, दान-पुण्य आदि का अत्यधिक महत्व है।
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त – चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ- 9 अप्रैल 2024
– कलश स्थापना मुहूर्त – सुबह 06.11 – सुबह 10.23
– अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12.03- दोपहर 12.54
– अभिजीत मुहूर्त में किस भी तरह कोई शुभ कार्य किया जा सकता है।