26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

साहब मैं इस बच्चे का बाप नहीं हूं, आप डीएनए टेस्ट करा लो, टेस्ट से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा

DNA test Petition: दुष्कर्म(rape)के आरोपी ने हाईकोर्ट(bilaspur High Court)से डीएनए टेस्ट(DNA test) कराने की मांग की

2 min read
Google source verification
DNA test Petition filed in the High Court

साहब मैं इस बच्चे का बाप नहीं हूं, आप डीएनए टेस्ट करा लो, टेस्ट से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा

बिलासपुर. दुष्कर्म(rape)के आरोपी ने हाईकोर्ट(bilaspur High Court)से डीएनए टेस्ट(DNA test) कराने की मांग करते हुए याचिका लगाई है। याचिका में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा गया है कि डीएनए टेस्ट से साबित होगा कि वो बच्चे का पिता नहीं है। आरोपी युवक की इस मांग पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
गौरतलब है कि इस मामले में एक युवती ने आरोपी युवक पर दुष्कर्म(rape with girl)करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया गया, जिसके कारण वो गर्भवती(Pregnant)हो गई। बच्चे के जन्म के बाद उसे मातृछाया में छोड़ दिया गया, जहां किसी दंपत्ति ने उसे गोद ले लिया।

read more- बॉयफ्रैंड बोला- बहुत मिल लिया छिप-छिप के अब मुझसे शादी करो तो नाबालिग गर्लफ्रैंड ने सिर कुचलकर कर दी हत्या

petition filed in the High Court" src="https://new-img.patrika.com/upload/2019/07/18/38_4853370-m.jpg">

आरोपी युवक ने निचली अदालत में युवती के इस आरोप के खिलाफ खुद के डीएनए टेस्ट कराने की मांग की थी, लेकिन उसका आवेदन अदालत ने खारिज कर दिया गया। जेल में एक वर्ष से सजा काट रहे आरोपी ने खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए हाईकोर्ट से डीएनए टेस्ट कराने की मांग की है।

read more-रोते हुए बोली महिला- साहब मुझे मेरे पति से बचा लो, रात को करता है घिनौना काम

आरोपी के अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 53 ए के तहत डीएनए टेस्ट(DNA test Petition)की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। वे अपनी जिम्मेदारी से नहीं मुकर सकते। इस मामले में निचली अदालत का फैसला भी अभी तक नहीं आया है, वहां से स्टे है। लिहाजा याचिकाकर्ता अपने बचाव व पक्ष रखने के लिए हाईकोर्ट(bilaspur High Court)की शरण में आया है। कोर्ट ने प्रकरण को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है।