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74 वर्षीय बुजुर्ग ने गलती से निगले छह ब्लेड, डॉक्टरों ने ऐसे किया चमत्कारिक ऑपरेशन, जानें रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला

Bilaspur News: 74 साल की उम्र में कोई भी साधारण बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है, लेकिन उसलापुर के बुजुर्ग केपी मिश्रा के साथ जो हुआ, उसने पूरे परिवार की सांसें रोक दीं।

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चमत्कारिक ऑपरेशन (फोटो सोर्स- Unsplash)

चमत्कारिक ऑपरेशन (फोटो सोर्स- Unsplash)

Bilaspur News: 74 साल की उम्र में कोई भी साधारण बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है, लेकिन उसलापुर के बुजुर्ग केपी मिश्रा के साथ जो हुआ, उसने पूरे परिवार की सांसें रोक दीं। रविवार की सुबह उन्होंने गलती से एक नहीं, पूरे छह सेविंग ब्लेड निगल लिए। हालत बिगड़ती देख परिजन उन्हें तुरंत सिम्स अस्पताल लेकर पहुंचे। गले में धारदार ब्लेड फंसे होने की जानकारी मिलते ही डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी दंग रह गए।

रविवार का अवकाश था, लेकिन जैसे ही मामला डीन प्रो. डॉ. रमणेश मूर्ति तक पहुंचा, उन्होंने बिना समय गंवाए ईएनटी और एनेस्थीसिया विभाग के विशेषज्ञों को बुलाया। अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने भी तत्काल समन्वय किया। मिनटों में ऑपरेशन थिएटर तैयार हो गया। ईएनटी विभाग प्रमुख डॉ. आरती पांडे, डॉ. विद्या भूषण साहू और एनेस्थीसिया विभाग प्रमुख डॉ. मधुमिता मूर्ति, डॉ. शीतल दास की टीम ने करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक टंग मैथड अपनाते हुए बेहद सावधानी से एक-एक कर छह ब्लेड को गले से निकाला।

ब्लेड फंसने के खतरे

  • आहार नली और स्वर तंत्र को स्थायी नुकसान
  • श्वसन नली कटने पर तुरंत दम घुटने की आशंका
  • संक्रमण और आंतरिक रक्तस्राव का खतरा
  • समय पर सर्जरी न हो तो जान बचाना मुश्किल।

मरीज की हालत स्थिर

ऑपरेशन सफल होने के बाद मरीज को आईसीयू में शिफ्ट किया गया है। डॉक्टरों का दावा है कि गले के किसी भी अहम हिस्से को नुकसान नहीं पहुंचा है। परिजन ने टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर समय पर डॉक्टर मदद नहीं करते तो हम उन्हें खो देते।

समय पर इलाज नहीं होता तो जा सकती थी जान

डॉक्टरों ने बताया कि यह केस बेहद जोखिम भरा था। स्वर तंत्र, आहार नली और श्वसन नली किसी भी क्षण कट सकती थी। जिससे जान भी जा सकती थी, लेकिन पूरी टीम ने धैर्य और तकनीक से बुजुर्ग को मौत के मुंह से बाहर खींच लिया।

ऐसी स्थिति आए तो परिजन ये बरतें सावधानी

  • मरीज को शांत रखें, घबराने न दें
  • खांसने या उल्टी कराने की कोशिश न करें
  • गले या मुंह में हाथ डालकर ब्लेड निकालने का प्रयास न करें
  • तुरंत नजदीकी बड़े अस्पताल लेकर जाएं
  • सफर के दौरान मरीज को सीधा बैठाकर रखें ताकि ब्लेड और नीचे न खिसके।

संस्थान लगातार जटिल से जटिल सर्जरी को सफलता से अंजाम दे रहा है। हमारा लक्ष्य केवल इलाज नहीं, बल्कि हर मरीज को जीवन का दूसरा मौका देना है। यही सेवा का संकल्प हमें प्रेरित करता है। - डॉ. रमणेश मूर्ति, डीन सिम्स बिलासपुर


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