
ईवी ने कुछ हद तक कम किया प्रदूषण, फिर भी पेट्रोल डीजल के वाहनों से प्रदूषण अधिक
केन्द्र सरकार ने बिलासपुर शहर को स्मार्ट सिटी में वर्ष 2018 में शामिल किया था। स्मार्ट सिटी में चलने वाले सवारी वाहनों में ईवी को प्राथमिकता दी गई थी। शहर में इन वाहनों के चलने से डीजल और पेट्रोल वाहनों के चले के कारण होने वाले प्रदूषण से भी निजात मिल सकती है। खासकर ऐसे वाहन जिनकी प्रदूषण जांच नहीं होती । उनसे लगातार कार्बन डॉई आक्साइड निकल रहा है। इससे प्रदूषण में जहर घुल रहा है और लोग बीमार हो रहे हैं। खासकर इससे दमा के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
बदलने पर जोर नहीं
स्मार्ट सिटी को कार्बन फ्री रखने के लकड़ी और कोयले का उपयोग होने वाले कारखानों पर रोक लगाना जरूरी है। इसके साथ ही सड़क पर दिनभर दौड़ने वाले डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को विशेष तौर पर लोडिंग रिक्शा को भी ई व्हीकल में बदलने की पहल की जानी थी, लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन ने अब तक पहल नहीं की है।
एकमात्र ई रिक्शा चार्जिंग पाइंट
ई रिक्शा को बढ़ावा देने के लिए नगर निगम ने खानापूर्ति ही की है। पं. श्यामलाल चर्तुर्वेदी स्मार्ट रोड पर एकमात्र ई-रिक्शा चार्जिंग पाइंट लगाया गया है। इसमें एक बार में सिर्फ 6 ई रिक्शा चार्ज हो सकते हैं, जबकि शहर में ई रिक्शा की संख्या 1200 से अधिक है। ा
कार्बन डाई आक्साइड में थोड़ी कमी
शहर में लगातार प्रदूषण बढ़ने के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स में बढ़ोतरी हो रही है। गुरुवार को शहर का एक्यूआई 82 रहा और इसमें पीएम 10- 94, पीएम 2.5- 22, कार्बन- 2260 और एनओ-2 - रहा। वहीं 6 महीने पहले शहर में कार्बन की मात्रा 2300 से अधिक था।
शहर में ई व्हीकल की स्थित
टू व्हीलर- 215
थ्री व्हीलर गुड्स - 40
ई-रिक्शा - 1290
मोटर कैब- 12
मोटर कार- 125
मोपेड- 73
मोटर साइकिल स्कूटर- 3590
गुड्स कैरियर- 6
पहला ई रिक्शा चार्जिंग पाइंट हुआ ध्वस्त
नगर निगम ने 10 वर्ष पूर्व सरकंडा स्थित आदिम जाति कल्याण थाना में ई रिक्शा चार्जिंग पाइंट बनाया था। यहां 12 ई रिक्शा एक बार में चार्ज होते थे, लेकिन इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया और वर्तमान में यह पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।
ई रिक्शा और अन्य ईवी चलने से शहर के प्रदूषण में कमी आई है। इसे बढ़ावा देने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से शहर के अलग-अलग 8 स्थानों पर ई रिक्शा चार्जिंग पाइंट बनाने का प्रस्ताव बनाया गया है। ई रिक्शा का व्यावसायिक उपयोग होता है इसलिए उनसे चार्जिंग के लिए शुल्क भी लिया जाएगा।
शेख नजीरूद्दीन
अध्यक्ष नगर निगम
एक्सपर्ट व्यू
डॉ अजय कुमार सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर फारेस्ट्री डिपार्टमेंट
गुरुघासीदास सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी
बिलासपुर शहर में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। हम औद्योगिक इकाई एवं वाहन से निकलने वाले काले धुएं को इसका जिम्मेदार मान सकते हैं। पर्यावरण में कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड के अतिरिक्त मात्रा प्रदूषण का मुख्य कारण है जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। बिलासपुर सहर में ईवी बैटरी से संचलित होने वाले ऑटोरिक्शा, चार पहिया वाहन, दुपहिया वहां की संख्या दिनो दिन बढ़ रही है जो कुछ हद तक प्रदूषण पर लग सकती है, मगर साथ ही पुराने वाहन जो पेट्रोल और डीजल से चलते हैं उनकी भी संख्या कुछ काम नहीं है जो लगतार काला धुआ छोड़ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसर, सहार के नेहरू चौक, मंगला चौक, महाराणा प्रताप चौक एवं स्टेशन चौराहा पर अधिकार समय कार्बन मोनो ऑक्साइड अपने मानक स्टार 120 पीपीएम से ज्यादा ही रहता है। सल्फर डाइऑक्साइड ईवम नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा भी 0.0007 पीपीएम ईवम 1500 पीपीएम से ज्यादा ही मापी गई है। जिसे तो स्पष्ट है कि अभी ईवी बाड़ियों से परिवर्तन कई फायदे होने वाले हैं।
ई-व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली मॉडल को अपनाना चाहिए। वहां चार्जिंग स्टेशन के बजाए बैटरी स्टेशन बने हैं, जहां कोई भी बैटरी को किराए पर लेकर अपने वाहन चला सकता है। इससे उसे खर्च भी कम आता है और वाहनों को खड़े भी नहीं रहना पड़ता है। ये सिस्टम ज्यादा मददगार होगा।
Published on:
31 Aug 2023 11:13 pm
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