
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: अंजान नंबर से आए कॉल को उठाना और फिर बिना कुछ सोचे-समझे अज्ञात व्यक्ति के दिशा-निर्देशों का पालन करना हमें कितना नुकसान पहुंचा सकता है, यह हम आज पीड़ित युवा व्यापारी की जुबानी बता रहे हैं। इसमें व्यापारी को अज्ञात नंबर से मोबाइल पर कॉल आया। खुद को एसबीआई का टेक्निकल ऑफिसर बताते हुए उन्होंने कहा कि आपके क्रेडिट कार्ड की समयावधि समाप्त होने वाली है। जल्द अपडेट न कराया गया तो एक्सपायर हो जाएगा। इसके साथ ही उसने एक लिंक भेज कर ओटीपी मांगा। व्यापारी ने बिना सोचे समझे ओटीपी नंबर दे दिया।
कुछ देर बाद उसके खाते से तीन किस्तों में 1 लाख 20 हजार रुपए कटने का मैसेज आया। व्यापारी समझ गया कि उसके साथ ठगी हो गई है। उसने तत्काल बैंक के हैल्प लाइन नंबर पर कॉल कर ट्रांजेक्शन अकाउंट क्लोज कराया, साथ ही संबंधित थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस और साइबर क्राइम विंग की सक्रियता से आखिकरकार आरोपी पकड़े गए। तब जाकर उसके रुपए वापस मिले। इस घटना के बाद पीड़ित का कहना है कि काश, ओटीपी बताने से पहले क्रेडिट कार्ड की एक्सपायरी डेट देख लिया होता तो ये ठगी का शिकार नहीं होता।
दोपहर में भोजन करने के बाद आराम कर रहा था। तभी मोबाइल पर अंजान नंबर से कॉल आया। ऊंघते हुए मैने कॉल रिसीव किया। कॉलर ने कहा कि वह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से टेक्निकल ऑफिसर बोल रहा है। आपका क्रेडिट कार्ड एक्सपायर होने वाला है। तत्काल अपडेट करना होगा, नहीं तो बंद हो जाएगा। इस पर मैने पूछा कि कैसे अपडेट करूं।
उसने कहा कि वह एक लिंक भेज रहा है, उसे खोल कर जो ओटीपी आए वह भेजे। बाकी का काम मैं कर लूंगा, आप को कोई परेशानी नहीं होगी। कुछ सोचे-समझे मैने हां कह दिया और फिर मिले लिंक को ज्वाइन कर उसे 6 डिजिट का ओटीपी बता दिया। इस बीच उसने मुझसे करीब 10 मिनट बात किया, फिर कहा कि आप का काम हो गया है। आगे भी सेवा का मौका दीजिएगा।
मै भी राहत की सांस लेते हुए थैंक्यू बोल कर कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। कुछ देर बाद जब मोबाइल पर 60 हजार, 40 हजार और 20 हजार रुपए तीन किस्तों में खाते से निकलने का मैसेज आया। ये वही समय था, जब मैं उससे बात कर रहा था। मैं समझ गया कि मेरे साथ ठगी हो गई है। तत्काल एसबीआई के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर सारा माजरा बताते हुए अपने ट्रांजेक्शन अकाउंट को क्लोज कराया। इसके बाद सरकंडा थाने में जाकर इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई। शिकायत दर्ज कराए महीनों बीत गए।
मैं हताश था। इसी बीच सरकंडा थाने से मुझे कॉल आया। बताया गया कि आप से ठगी के आरोपी पकड़े गए हैं, आ जाइए। इतना सुनते ही मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। सोचा भले ही मेरे पैसे न लौटें, कम से कम आरोपियों को तो सजा मिलेगी। पुलिस ने एक नाबालिग समेत दो आरोपियों को न सिर्फ गिरफ्तार किया, बल्कि उनसे ठगी के रकम भी वापस कराए।
शिकायत के बाद बिलासपुर पुलिस व साइबर क्राइम टीम आरोपियों की तलाश करते बिहार के जामनगर गई थी। वहां से एक नाबालिग समेत दो और आरोपियों को गिरफ्तार कर लाई। खास बात ये रही कि उससे बात करने वाला मास्टर माइंड नाबालिग था। जब उससे आमना-सामना हुआ तो उसने मुझसे कंप्रोमाइज करना चाहा। कहा कि वह पूरे पैसे लौटा देगा, बशर्ते वह केस वापस ले ले। इस पर मैंने कहा कि अब तो तुम वैसे भी पुलिस के शिकंजे में आ गए हो, मेरे पैसे तो पुलिस तुमने वापस लेगी, साथ ही तुम्हारी करनी का फर सजा रूप में तुम्हें मिलेगा।
सभी सुरक्षा एजेंसियों के लिए साइबर अपराध चुनौती के रूप में सामने आए हैं। इनसे निपटने के लिए जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। जागरूक होना जरूरी है। आप सब सतर्क रहे। कोई भी बैंक या वित्तीय संस्था कभी ओटीपी, पासवर्ड या अकाउंट की जानकारी नहीं मांगती है। यदि कोई मांग रहा है तो यकीन मानिए आप ठगी के शिकार होने वाले हैं। इसी तरह से कोई भी अनजान व्यक्ति का वीडियो काल कतई न उठाएं।
यदि उठाते हैं तो आप सेक्सटार्शन जैसे अपराध के शिकार हो सकते हैं। ऐसे ही ठगी ने नया तरीका निकाला है डिजिटल अरेस्ट का। कोई भी इन्फोर्समेंट एजेंसी कभी भी न किसी को डिजिटल समन, न डिजिटल वारंट भेजती है और न डिजिटल अरेस्ट करती है। यह किसी भी कान में नहीं है। यदि कोई बोलता है आप डिजिटली अरेस्ट हैं तो यह मान के चलिए कि वो आपके साथ ठगी कर रहा है। इसकी सूचना तत्काल नजदीकी थाने में देना चाहिए।
Updated on:
07 Dec 2024 02:08 pm
Published on:
07 Dec 2024 02:06 pm
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