
Chhattisgarh News: हाईकोर्ट के कड़े निर्देश पर आयुर्विज्ञान संस्थान, सिम्स में बाहरी तौर पर साफ-सफाई, लिपाई-पुताई, जीर्ण-शाीर्ण प्रसाधनों का जीर्णोद्धार सहित अन्य छिटपुट अव्यवस्थाएं तो सुधरी हैं, पर अंदरूनी रूप से जो सुधार होने चाहिए, अभी तक ज्यों के त्यों हैं। अभी भी चेकअप के बाद कुछ डॉक्टर्स मरीजों को जांच के लिए बाहर निजी पैथालैब, रेडियोलॉजी या डायग्नोस्टिक सेंटर्स भेज रहे हैं। ऐसे मामलों को स्वयं शासन द्वारा नियुक्त ओएसडी आर प्रसन्ना ने भी पकड़ा था। इस मनमानी को रोकने प्रबंधन को कड़ी हिदायत भी दी थी, इसके बावजूद इस पर प्रबंधन अनदेखी कर रहा है। यानी साफतौर पर कमीशनखोरी का खेल खेला जा रहा है जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। लिहाजा यहां न केवल संभाग, बल्कि दूसरे संभागों व मध्यप्रदेश के कुछ जिलों से भी मरीज बड़ी संख्या में रोजाना इलाज के लिए पहुंचते हैं। यहां चेकअप के बाद आम मरीजों को उम्मीद यह रहती है कि अस्पताल में ही जांच हो जाए और दवाएं मिल जाएं, पर जब जांच के लिए डॉक्टर ही बाहर निजी पैथोलैब, रेडियोलॉजी या डायग्नोस्टिक सेंटर भेजते हैं और दवाएं भी ब्रांडेड लिखे जाने से बाहर खरीदनी पड़ती हैं तो जेब तो खाली होती ही है, निराशा भी हाथ लगती है।
सिम्स में लगातार यही मनमानी देखने को मिल रही है। विशेष कर ऐसे मरीज जो बाहर से आकर यहां नियमित रूप से इलाज करा रहे हैं, उन्हें ज्यादातर क्लीनिकल डाक्टर्स जिसमें मेडिसिन, सर्जरी, प्रसूति, शिशु रोग, ईएनटी, छाती रोग, स्किन, आर्थोपेडिक ओपीडी आती है, मरीजों को बाहर जांच के लिए निजी जांच केंद्रों में भेज रहे हैं। यानी ब्लड सुगर जांच से लेकर एक्सरे, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन समेत अन्य जांच के लिए डॉक्टर अपने पसंदीदा पैथोलैब, रेडियोलॉजी या डायग्नोस्टिक सेंटर भेज रहे। ताकि जांच कराने के एवज में उन्हें कमीशन मिल सके।
ओएसडी की हिदायत के बाद भी मनमानी...
सिम्स में व्यवस्था सुधार को लेकर हाईकोर्ट के कड़े निर्देश पर राज्य शासन द्वारा नियुक्त ओएसडी आर प्रसन्ना ने पिछले दिनों जांच के दौरान कुछ मरीजों को सिम्स में चेकअप कराने के बाद बाहर जांच के लिए जाते कुछ ऐसी ही पर्ची पकड़ी थी। उस समय डीन व एमएस दोनों को कड़ी हिदायत दी थी कि इस मनमानी पर रोक लगे। मरीजों की समुचित जांच सिम्स में हो। उस दौरान तो दोनों अधिकारियों ने सिर हिलाते हुए हामी भरी थी, पर इस पर संज्ञान अभी तक नहीं लिया गया है। नतीजन आम मरीज ठगे जा रहे हैं, क्यों कि बाहर मनमाने दर पर ब्लड टेस्ट, एक्स-रे, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन की जांच हो रही है। अच्छे इलाज के आस में मरीजों को जेब ढीली करनी पड़ रही है।
इस खेल में कुछ हॉस्पिटल स्टाफ भी सहयोगी
कमीशनखोरी को अंजाम तक पहुंचाने डॉक्टरों का सहयोग यहां के गार्ड व वार्ड बॉय भी कर रहे हैं। ऐसे कुछ मरीज जो सिम्स के सामने मौजूद निजी पैथोलैब व डायग्नोसिटक सेंटर में जांच कराने पहुंचे थे, उनमें कुछ ने बताया कि उन्हें नहीं मालूम था कि कहा जांच होती है, हॉस्पिटल स्टाफ ने उन्हें यहां तक पहुंचाने में सहयोग किया है।
Case-1. गुणवत्तायुक्त जांच न होने की दलील...
सिम्स में चेकअप कराने के बाद सिम्स के सामने ही एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में सोनोग्राफी कराने पहुंचे एक मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डॉक्टर ने उसे यहीं से जांच कराने कहा है। सिम्स में ही जांच सुविधा होने की बात पर कहा गया कि यहां जांच की गुणवत्ता सही नहीं है। इच्छा इलाज चाहिए तो अच्छी जांच होनी चाहिए। यही वजह है कि वो यहां आया है।
Case-2. जांच रिपोर्ट लेट मिलने का हवाला...
डॉक्टर, मरीजों को जांच रिपोर्ट कई दिनों बाद मिलने का भी हवाला देकर बाहर जांच कराने कहा हवाला देते हुए मरीजों को अपने चहेते जांच सेंटरों में भेज रहे हैं। एक एक्सीडेंट में पैर में फ्रैक्चर होने के बाद मध्यप्रदेश के अनूपपुर से पैर में फ्रैक्चर का इलाज कराने पहुंचे एक मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चेकअप के बाद उसे बाहर से एक्स-रे कराने के लिए कहा गया है।
अभी तक मेरे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। ओएसडी आर प्रसन्ना ने भी बाहर जांच के लिए भेजी जा रही पर्ची पकड़ी थी। सभी डॉक्टरों को हिदायत दूंगा कि ऐसा न करें, अन्यथा कार्रवाई होगी।
डॉ. सुजीत नायक, एमएस सिम्स।
Published on:
13 Dec 2023 01:02 pm
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