
आंकड़ों की बात करें तो वर्तमान स्थिति में बेटियों को फेंकने, छोडऩे वाले भी बहुत हैं और इन्हें गोद लेकर इन्हें सहेजने वाले भी बहुत हैं।
बिलासपुर। यह किसने सोचा होगा कि जिस बेटी को कचरे के ढेर पर रात के अंधेरे में कोई फेंक गया था वो आज दुनियां के बड़े-बड़े देशों तमाम सुविधाओं में पल रही हैं इतना ही नहीं इस कहावत को भी चरितार्थ कर रही हैं कि बेटियां अपनी किस्मत लेकर आती हैं वो किसी की मोहताज नहीं। आंकड़ों की बात करें तो वर्तमान स्थिति में बेटियों को फेंकने, छोडऩे वाले भी बहुत हैं और इन्हें गोद लेकर इन्हें सहेजने वाले भी बहुत हैं।
पिछले पांच वर्षों की बात करें तो पूरे देश में 14646 बच्चे गोद लिए गए इसमें सबसे ज्यादा संख्या बेटियों की 8510थी। इन आंकड़ों में 0 से 2 वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चे शामिल हैं। यदि वर्ष 2019 से दिसंबर 2022 तक की बात करें तो पूरे देश से 1447 बच्चों को विदेशों में गोद लिया गया है। मजे की बात यह भी है कि प्रदेश से 503 बच्चों को गोद लेने के लिए आवेदक कतार में खड़े हैं।
वर्ष ---------------गोद लिए बच्चे -----------------बेटियां
2017-18 ----------3276 ------------------------1890
2018-19---------- 3374 ------------------------1872
2019-20 ---------3351------------------------- 1818
2020-21--------- 3142------------------------- 1719
2021-22--------- 2310------------------------- 1211
0 से 01 और दो वर्ष की डिमांड ज्यादा
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो शून्य से लेकर एक और दो वर्ष के बच्चों की डिमांड गोद लेने में ज्यादा है। इसमें भी बेटियों को गोद लेने वालों की संख्या ज्यादा है। 2017-18 से 31 जनवरी 2022 तक शून्य से एक वर्ष की 6046 बेटियों को लोगों ने गोद लिया है।
यूएस, स्पेन, कनाडा सहित अन्य देशों में रायगढ़ की बेटियां
मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के रायगढ़ जिले से ही 10 बेटियां अमेरिका, स्पेन, बेल्जियम, साउदी अरब और कनाडा जैसे देशों में गोद ली गईं और उनका लालन पालन वहां हो रहा है। इनमें से अधिकांश वो बेटियां थीं जो कूड़े के ढेर पर मिलीं, चिटियों ने जैसे उन्हें खा ही लिया था, स्थिति गंभीर थी, मगर इस कहावत को इन्होंने चरितार्थ किया कि बेटियां अपनी किस्मत लेकर खुद आती हैं।
अब एक नजर इसपर
वर्तमान में यदि प्रदेश में विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसी की बात करें तो इनकी संख्या 12 है जबकि इन एजेंसियों में रहने वाले बच्चों की संख्या 31 मार्च 2022 के अनुसार 119 है। वहीं पूरे देश में इन एजेंसियों की संख्या 390 है जहां 4105 बच्चे पल रहे हैं।
एक्सपर्ट व्यू
नवजात को फेंक देना या छोड़ देना समस्या का समाधान नहीं है। ये भगवान का रूप होते हैं जिन्हें बच्चे नहीं होते उनसे पूछिए इसकी तड़प। यह एक सामाजिक बीमारी बन चुकी है। रायगढ़ जैसे शहर में भी इस प्रकार की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके लिए समाज को ही आगे आना होगा। सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं को इस दिशा में प्रयास करना होगा। हां ये बात बिल्कुल सही है कि गोद लेने में बेटियों को सबसे ज्यादा महत्व दिया जा रहा है और हमारे छत्तीसगढ़ की बेटियों को विदेशों में लोग गोद लेकर ले जा रहे हैं।
एसएस मोहंती, संचालक, उन्नायक सेवा समिति
Published on:
28 Dec 2022 11:05 pm
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