
गंजे के सिर में लगा दो इसका खून तो आ जाते हैं बाल, कैंसर, लकवा जैसी बीमारी भी हो जाती हैं दूर, इस मिथ्यात्मक सोच ने पैंगोलिन को कर दिया विलुप्त
बिलासपुर. डॉ. पंकज टेभुनिकर प्रोफेसर, मेडिसीन विभाग सिम्स का कहना है कि लोगों में एक धारणा है कि पैंगोलिन के मांस को लकवा पीडि़त को खिलाने से लकवा की बीमारी खत्म हो जाता है। वहीं इससे कैंसर की बीमारी ठीक हो जाता और चर्म रोग में फायदेमंद बताया जाता है। आदिवासी क्षेत्रों के लोगों के बीच में ऐसी धारणा है। वहीं गंजे व्यक्ति के सिर में इसके खून को लगाने से बाल आने की बात कही जाती है। डॉ ने पंकज ने बताया कि इसके शरीर के उपर के स्केल और मांस का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि इससे पुरुषों की स्टेमना ( क्षमता) बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। इन्ही सब कारणों से पेंगोलिन का तस्करी बहुतयात मात्रा में होता है इसकी मांग ब्राजील और आस्ट्र्रेलिया जैसे देश में अधिक है लेकिन इसका रिसर्च किया गया तो इसे भ्रामक पाया गया लेकिन लोग मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं। इस वन्य प्राणी का तस्करी होने का यह महत्वपूर्ण कारण है। कानन पेंडारी के डॉ. पीके चंदन ने बताया इसकी खाल को शक्तिवर्धक दवाई बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। यही कारण है कि बहुतयात मात्रा में इसकी तस्करी होता है।
जानिए पैंगोलिन के बारे में
भारतीय पैंगोलिन का वैज्ञानिक नाम मैनिस क्रैसिकाउडाटा है, पैंगोलिन की एक जीव वैज्ञानिक जाति है जो भारत, श्रीलंका, नेपाल और भूटान में कई मैदानी व हलके पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पैंगोलिन की आठ जातियों में से एक है और संकटग्रस्त माना जाता है। हर पैंगोलिन जाति की तरह यह भी समूह की बजाय अकेला रहना पसंद करता है और नर व मादा केवल प्रजनन के लिए ही मिलते हैं। इसकी तस्करी इसलिए अधिक होती है कि माना जाता है कि इसके अंगों में गंभीर बीमारियां दूर करने की क्षमता है।
साल के जंगल में होता दीमक
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि साल के जंगल में दीमक अधिक होता है। एटीआर,सीपत सहित अन्य जंगल में सागौन का पेंड़ अधिक है। जिसके कारण यहां आए दिन पेंगोलिन दिखाई देता है। इसके तस्करी की शिकायत भी लगातार मिलती है।
पुलिस व वन विभाग की टीम तस्करों को पकड़ा भी है।
थोड़ा कठिन है
पैंगोलिन के लिए चारे पानी की व्यवस्था हो इस पर जल्द ही कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा। उसके लिए भोजन की व्यवस्था करना थोड़ा कठिन है फिर भी हम कोशिश करेगें।
संदीप बगला, डीएफओ वन विभाग
Published on:
09 Mar 2019 12:59 pm
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